September 8, 2024 8:26 am
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पवित्र जल लाकर धूमधाम से की गई मां विपद तारणी की पूजा, हर संकट से मुक्ति के लिए महिलाओं ने की पूजा

पवित्र जल लाकर धूमधाम से की गई मां विपद तारणी की पूजा

सोशल संवाद / राजनगर : राजनगर क़े बेलडीह गाँव में मां विपत तारणी की पूजा धूमधाम से की गई. इस पूजा में भारी संख्या में महिलाओं ने पूजा अर्चना कर संकट से मुक्ति के लिए अपनी हाथों में लाल धागा बांधा. मां  विपत तारणी की पूजा रथयात्रा के बाद शनिवार और मंगलवार के दिन ही की जाती है.

राजनगर प्रखंड अंतर्गत तुमुंग पंचायत के बेलडीह गाँव क़े 108 महिलाओं के द्वारा पवित्र जल लाकर  मां  विपत तारणी की पूजा अर्चना की गई. बता दे की रथ यात्रा के बाद  विपत तारणी की पूजा में भारी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं. विपत्तियों से मुक्ति के लिए महिलाओं ने भगवान से प्रार्थना की और अपनी हाथों में लाल धागा बांधा.

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बता दें कि रथयात्रा के बाद शनिवार और मंगलवार के दिन मां विपत तारणी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां विपत तारणी की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं. बंगाल के अलावा देश के कई राज्यों में मां विपत तारणी की पूजा की जाती है. बांग्ला भाषी लोग इस पूजा को धूमधाम से मनाते हैं. पूजा के दिन महिलाएं उपवास रखती हैं. यह माना जाता है कि यह पूजा महिलाओं के लिए ही है.

मां विपत तारणी की पूजा सबसे अलग:

मां विपत तारणी की पूजा करने वाली श्रद्धालु मुख्य पुजारी सीता हांसदा ने बताया कि हमारी परंपरा और संस्कृति में सालों भर अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा करने की मान्यता है. हमारे गाँव में 1917 से पूजा करते हुए आ रहे है, मां विपत तारणी की पूजा सबसे अलग होती है. रथ यात्रा निकलने के बाद शनिवार या मंगलवार को ही यह पूजा की जाती है. मां काली और दुर्गा के रूप में मां विपत तारणी की पूजा कर हम सबकी सुख शांति की कामना करते हैं. इस पूजा में मां को 13 तरह के फल प्रसाद का भोग चढ़ता है. पूजा में पुष्पांजलि देने के बाद पुरोहित द्वारा सभी महिलाओं के हाथ में लाल धागा बांधा जाता है. यह माना जाता है कि लाल धागा रक्षा कवच का काम करता है. सीता हँसदा ने बताया कि इस पूजा से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है.

इस पूजा को सफल बनाने में मुख्य रूप से संजय हांसदा क़े परिवार का अहम् भूमिका रहता है, साथ ही  मुखिया सुनीति मुर्मू पूर्व मुखिया रघुनाथ मुर्मू, पंचायत समिति सदस्य अनीता महतो, सुनील महतो, पुतुल हांसदा समेत ग्रामीणों का अहम योगदान रहा.

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