सोशल संवाद / डेस्क : इंडियन प्रीमियर लीग के 18वें सीज़न की शुरुआत से पहले विराट कोहली ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के यूट्यूब चैनल पर अपलोड हुए इंटरव्यू में ये बात कही है. इस इंटरव्यू में विराट कोहली ने बताया है कि क्यों वो सोशल मीडिया से दूर रहते हैं.
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इसके साथ ही विराट कोहली ने उनके लिए सोशल मीडिया और ‘सच्ची खुशी’ के क्या मायने हैं उनके बारे में बात की है. क्रिकेट प्रेज़ेन्टर और कमेन्टेटर ईशा गुहा को दिए इंटरव्यू में विराट कोहली ने कहा, “जानकारी और तकनीक का इस्तेमाल हमारे खेल को बेहतर बनाने के लिए होता है तो मैं इसका समर्थन करता हूं. हालांकि ये किसी के लिए काम कर सकता है और किसी के लिए नहीं. मैं कुछ वीडियोज़ देखता हूं और उनसे समझने की कोशिश करता हूं. मैं जानता हूं कि खेल को बेहतर बनाने में तकनीक का इस्तेमाल किस तरह से हो सकता है.”
लेकिन विराट कोहली का कहना है कि अगर तकनीक किसी उद्देश्य के साथ जुड़ी नहीं हुई है तो वो भटकाव पैदा करने वाली स्थितियां बना सकती है.
विराट कोहली ने कहा, “जब मैं पैदा हुआ, तो वो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का दौर नहीं था. मैं उससे बचा रहा. इसलिए मेरे लिए उससे दूर रहना आसान है. इससे कुछ लोग नाखुश भी रहते हैं.”
“लेकिन में जानबूझकर इससे दूर रहता हूं. मुझे महसूस होता है कि इसमें (सोशल मीडिया का इस्तेमाल) बहुत सारी एनर्जी जाती है. उस एनर्जी का इस्तेमाल मैं अपने गेम पर करना चाहता हूं या फिर अपने क़रीबी लोगों के साथ रहना चाहता हूं. मैं उस वक्त को बर्बाद नहीं करना चाहता.”
विराट कोहली ने कहा कि पहले की गई प्रतिबद्धताओं की वजह से उन्हें अभी भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना पड़ता है, लेकिन वो इससे भी दूरी बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
विराट कोहली ने कहा, “मैं इस टूल (सोशल मीडिया) से पूरी तरह दूरी बनाने की कोशिश कर रहा हूं. मैं ऐसा करना चाहता हूं. लोग सवाल करते हैं कि स्पॉन्सर्ड कंटेंट के अलावा कुछ पोस्ट क्यों नहीं होता.”
“चैंपियंस ट्रॉफी जीतने की पोस्ट करने से मेरे दिल को मिल रही खुशी में कोई इज़ाफा नहीं होने वाला है. सभी जानते हैं कि हमने ट्रॉफी जीत ली है.
पोस्ट करने से वो दो ट्रॉफी नहीं होंगी. हकीकत वही रहेगी.”
वो कहते हैं, “मैं इसी तरह से चीज़ों को देखता हूं. अगर मैं ऐसा चाहूं कि लोग मेरे बारे में कुछ कहें, तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
विराट कोहली का कहना है कि वो जो हैं वही बने रहना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे अहसास होता है कि जब मैं खेलने जाता हूं तो मैं जैसा हूं वैसा बने रहना ही मेरे लिए मायने रखता है. मेरे साथ क्रीज़ पर जो पार्टनर होता है एक वक्त पर वो भी मायने नहीं रखता, क्योंकि उस वक्त स्थिति का सामना करने के लिए सिर्फ मैं होता हूं.”
उन्होंने अपने खेल में बारे में कहा, “मैं अपनी सारी एनर्जी उसी पर फोकस करना चाहता हूं. जो लोग लंबे समय तक खेलते हैं वो जानते हैं कि एक वक्त के बाद आप बहुत सारी चीज़ें नहीं कर सकते हैं.”
आप जो 18 या 20 साल की उम्र में कर रहे थे वो आप 30 की उम्र के बाद नहीं कर सकते हैं. युवाओं को भी एक दिन इस बात का अहसास होगा.”
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