ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार(GPR) एक ऐसी पद्धति है जो किसी वस्तु या ढांचे को छुए बगैर ही उसके नीचे मौजूद कंक्रीट, केबल, धातु, पाइप या अन्य वस्तुओं की पहचान कर सकती है.

इसकी मदद 8-10 मीटर तक की वस्तुओं का पता लगाने में ली जाती है. ये नीचे या अंदर के स्थितियों को जानने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग होता है.

वाल्टर स्टर्न ने 1929 में पहला ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) विकसित किया. उन्होंने इसका उपयोग ऑस्ट्रिया में एक ग्लेशियर की गहराई मापने के लिए किया.

जीपीआर मूल रूप से 1930 के दशक में ग्लेशियर की मोटाई मापने के लिए विकसित किया गया था.

बाद में जीपीआर के लिए 1960 में हार्डवेयर और1970 में सॉफ्टवेयर विकसित हुए. पहले तो ये प्रक्रिया महंगी थी लेकिन अब सस्ती हो गई है.