सोशल संवाद/ डेस्क: आज हम आपको एएनपीआर कैमरे के बारे में बताएंगे। क्या है इसका इस्तेमाल और दिल्ली में इसे पुरानी गाड़ी को पकड़ने के लिए किया जा रहा है। एएनपीआर कैमरे खास तरह के कैमरे होते हैं, ये खासतौर पर हाई-वे के टोल बूथ पर लगे होते हैं। ये विशेष तरह के ऐसे कैमरे होते हैं जो तुरंत किसी भी वाहन की नंबर प्लेट के जरिए उनके डिजिटल डेटा का पता लगा लेते हैं। इन्हें वाहनों की नंबर प्लेट को आटोमेटिक तौर पर पढ़ने और पहचानने के लिए ही डिज़ाइन किया गया है। दिल्ली की 10 और 15 साल पुरानी गाड़ियों को इसी के जरिए पता लगाया जा रहा है, उसके बाद उन्हें जब्त करके स्क्रैप के लिए भेजा जा रहा है।
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इस समय ये कैमरे दिल्ली और एनसीआर के पेट्रोल पंपों पर लगाए जा रहे हैं, जिससे जब 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुरानी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां वहां आएं, तो उनका तुरंत पता लग जाए. उसके बाद उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जा सके. दिल्ली के 500 पेट्रोल पंपों पर ये कैमरे लगा दिए गए हैं. इसके बाद एनसीआर में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव के पेट्रोल पंपों पर भी इन्हें लगाने का काम चल रहा है.
ये कैमरे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) तकनीक का उपयोग करते हैं ताकि नंबर प्लेट पर लिखे अक्षरों और संख्याओं को डिजिटल डेटा में बदल सकें. ये तुरंत बता देंगे कि इस वाहन का रजिस्ट्रेशन कब हुआ. ये कितने सालों से दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर चलाया जा रहा है. हालांकि इन कैमरों का काम इतना ही नहीं है. ये कई कामों में इस्तेमाल होते हैं.
इसके फायदे और नुकसान क्या हैं
– ये समय की बचत करने वाला स्वचालित सिस्टम है.
– मानवीय त्रुटियों को कम करता है.
– इसमें 24/7 निगरानी की क्षमता है.
– गोपनीयता संबंधी चिंताएं रहती हैं, क्योंकि ये वाहनों और उनके मालिकों की जानकारी इकट्ठी करता है.
– खराब मौसम या कम रोशनी में इसकी सटीकता कम हो सकती है.