सोशल संवाद/डेस्क : आज के समय में स्मार्टफोन हर यूजर की जरूरत है। इसी के साथ स्मार्टफोन को लेकर हर यूजर की एक अलग जरूरत होती है। बहुत से यूजर्स को स्मार्टफोन की जरूरत अपने बच्चों के लिए होती है। बच्चों को फोन देने में सिक्योरिटी प्राइवेसी से जुड़े कई सवाल जेहन में आते हैं। ऐसे में बच्चे को स्मार्टफोन न देना भी कोई रास्ता नहीं बनता।अपने छोटे बच्चे को उसके स्कूल के काम के लिए एंड्रॉइड स्मार्टफोन उसके हाथ में थमाते हैं तो आप भी बच्चे की सिक्योरिटी और प्राइवेसी के लिए परेशान रहते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं, एंड्राइड फोन के इस्तेमाल पर गूगल की ओर से यूजर्स को एक खास सुविधा दी जाती है। गूगल की यह सुविधा ऐसे यूजर्स के काम आती है, जो पैरेंट्स हैं।
टेक कंपनी गूगल अपने यूजर्स के लिए अलग- अलग प्लेटफॉर्म की सुविधा देता है। गूगल अपने यूजर्स को जीमेल, ड्राइव, मैप, वॉलेट, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म की सुविधा देता है। इसी कड़ी में कंपनी यूजर को फैमिली लिंक की सुविधा भी देता है। फैमिली लिंक की मदद से यूजर्स अपने बच्चे के डिवाइस इस्तेमाल करने के तरीके पर निगरानी रख सकते हैं। गूगल की इस सर्विस का कैसे कर सकते हैं इस्तेमाल- गूगल की इस सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए प्ले स्टोर पर Google Family Link ऐप को डाउनलोड किया जा सकता है।
गूगल के इस प्लेटफॉर्म पर पैरेंट्स को कौन सी सुविधाएं मिलती हैं – बच्चा स्मार्टफोन पर कितना समय बिता रहा है और बच्चे के डिवाइस की लोकेशन क्या है, इन सभी बातों की जानकारी पैरेंट्स रख सकते हैं। गूगल के इस प्लेटफॉर्म की मदद से यूजर्स बच्चे को स्मार्टफोन देने के साथ ही कुछ नियमों को बना सकते हैं।
बच्चा कितनी देर करेगा फोन इस्तेमाल, पैरेंट्स कर सकेंगे कंट्रोल – आपका बच्चा स्मार्टफोन कितनी देर इस्तेमाल कर सकता है, इसे गूगल फैमिली लिंक की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है। गूगल फैमिली लिंक के जरिए किसी ऐप पर कितनी देर तक एक्टिव रह जाए, इसके लिए टाइम लिमिट सेट की जाती है। उदाहरण के लिए आप अगर बच्चे को गेम खेलने के लिए फोन देते हैं तो 24 घंटों में कुछ घंटे तय कर सकते हैं। टाइम लिमिट सेट करने से बच्चा ज्यादा तक ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
बच्चे की उम्र के हिसाब से चुन सकते हैं उसके लिए कंटेंट – इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत से कामों को आसान तो बनाता है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल ही किया जाए यह सुनिश्चित करना थोड़ा मुश्किल काम है। गूगल सर्च और यूट्यूब पर कुछ की वर्ड्स डालते ही ऐसा कंटेंट आसानी से देखा जा सकता है, जो खासकर बच्चों के लिए सही न हो।