सोशल संवाद / डेस्क : ओब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें व्यक्ति को बार-बार अनियंत्रित विचार और आवेग आते हैं, जिन्हें वह रोक नहीं पाता है। ये विचार और आवेग उसे तनाव और चिंता का कारण बनते हैं। व्यक्ति को बार-बार अवांछित विचार, भावनाएं, संवेदनाएं, या छवियां आती हैं, जिन्हें जुनून कहा जाता है। इन विचारों से छुटकारा पाने के लिए, व्यक्ति को बार-बार कुछ करने की मजबूरी महसूस होती है। ज्यादातर लोग यह मानने को तैयार नहीं होते कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। हालांकि अगर वे वास्तविकता को स्वीकार कर लें, तो इलाज काफी आसान हो जाता है।
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मेडिकल एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ओसीडी एक गंभीर मानसिक बीमारी है। नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया के मुताबिक, प्रति 100 लोगों में से 2-3 लोगों को पूरे जीवन में ओसीडी होती है। यह बीमारी पुरुषों और महिलाओं को बराबर प्रभावित करती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) के मुताबिक, इस बीमारी की शुरुआत आमतौर पर 20 साल की उम्र में हो जाती है। हालांकि, यह दो साल के बच्चे से लेकर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।
ओसीडी एक चिंता करने वाली बीमारी है, जिसमें पीड़ित शख्स किसी बात की जरूरत-से-ज्यादा चिंता करने लगता है। ऐसे मरीज न खुद को रोक पाते हैं, न ही बेफिक्र रह पाते हैं। जैसे कोर्इ सूर्इ पुराने रेकॉर्ड पर अटक जाती है, वैसे ही ओसीडी से दिमाग किसी एक ख्याल या काम पर अटक जाता है। मसलन, यह कन्फर्म करने के लिए कि गैस बंद है या नहीं, आप 20 बार स्टोव की नॉब चेक करते हैं। तब तक हाथ धोते रहते हैं, जब तक कि वह छिल न जाए।
बार-बार सफार्इ करने वाले गंदगी से डरते हैं। उन्हें आमतौर पर सफार्इ और बार-बार हाथ धोने का कंपल्शन होता है।
कुछ लोग बार-बार चीजों की जांच करते हैं (अवन बंद किया या नहीं, दरवाजा बंद किया या नहीं आदि)। उनके मन में इनके खतरे का डर होता है।
शंकालु और पाप से डरने वाले लोग यह सोचते हैं कि अगर सब कुछ ठीक ढंग से नहीं हुआ तो कुछ बुरा हो जाएगा या वे सजा के भागी बन जाएंगे।
गिनती करने वाले और चीजों को व्यवस्थित करने वाले क्रम और समानता से ऑब्सेस्ड होते हैं। उनमें से कुछ निश्चित संख्याओं, रंगों और अरेंजमेंट को लेकर अंधविश्वास हो सकता है।
चीजों को संभालकर रखने वाले इस बात से डरे होते हैं कि अगर उन्होंने कुछ बाहर फेंका तो कुछ बुरा होगा। अपने इसी डर की वजह से वे गैरजरूरी चीजों को भी संभालकर रखते हैं।
अनियंत्रित विचार: व्यक्ति को बार-बार अनियंत्रित विचार आते हैं, जैसे कि डर, चिंता, या अश्लील विचार।
मजबूरी: व्यक्ति को बार-बार कुछ कार्य करने की मजबूरी होती है, जैसे कि हाथ धोना, चीजें व्यवस्थित करना, या गिनती करना।
दोहराव: व्यक्ति को बार-बार कुछ कार्य दोहराने की मजबूरी होती है, जैसे कि दरवाजा बंद करना, लाइट ऑन/ऑफ करना, या कुछ वाक्य दोहराना।
चिंता और तनाव: ओसीडी के कारण व्यक्ति को चिंता और तनाव होता है, जो उसके दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकता है।
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