सोशल संवाद / डेस्क : पॉलीसिस्टिक ओवेरियन या ओवरी डिजीज एक हार्मोनल समस्या है जो महिलायों में एनड्रोजन ( पुरुष हार्मोंन)की अधिकता के वजह से होता है.पीसीओडी में माहवारी या पीरियड्स नही आना ,पीरियड्स के समय दर्द का होना या लंबे समय तक रहना, चेहरे पर अनचाहे बाल ,पेल्विक दर्द ,संतान प्राप्ति में कठिनाई होना शामिल है. इस बीमारी में मोटापा,अब्स्ट्रेक्टिव स्लीप एपनिया ,अवसाद की समस्यआऐ भी शामिल है . यह 18-44 साल के औरतो में आम हार्मोनल समस्या माना जाता है . 10 में से एक महिला को पी ओ सी डी के कारण नि; संतनता की समस्या हो सकती है . यदि कोई महिला अप्रयाप्त क्रमिक विकाश के वजह से नि; शांतन है तो पीसीओडी उसका प्रमुख कारण हो सकता है .
1.माहवारी संबंधी समस्याऐ- पीसीओडी में ओलिग्मोनोरिया (एक साल में 9 पीरियड्स से कम आना ) या एमोनेरिया (लगातार 3 या आधिक महीनो तक पीरियड नही आना) का कारण बनता है हालाँकि माशिक धर्म से जुड़ी अन्य समस्याए भी होसकती है.
2 .निःशंतानता – यह आमतौर पर लोगों में क्रमिक विकास का नही होने के कारण या या उसकी कमी के कारण होता है .
3. मस्कुलिन हार्मोन का ज्यादा होना – हाइपरएंड्रोजेनिज्म मतलब पुरुष हार्मोन का ज्यादा होना ,जिसके लक्षण चेहरे पर मुहांसा का होना अनचाहे बाल होना हो सकता है .
4.मेटोबोलिक विकार- यह इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़े अन्य संकेतो के साथ वजन का बढ़ना .पीसीओडी में महिलायों में इंसुलिन सीरम ,इंसुलिन प्रतिरोध और होमोसट्रीन बढ़ जाती है जिस से वजन बढ़ने की समस्याए भी देखने मिलती है .
पीसीओडी के भिन्न कारण हो सकते है , इसे वंशानुगत कारण की भी संभावना हो सकती है .इस तरह के रोगों में पारिवारिक संबंध मोनोजयगोटिक में उच्च संगती है अनुवांशिक केसेज में देखा गया है आटोसोमोल डोमिनेंट बीमारी हो सकती है.कई मामले में सिंगल जिन विकार भी पाया जाता है .एंटीमुलेरियनहार्मोन के साथ एंड्रोजन का औसतम डिग्री से ज्यदा होना भविष्य में पीसीओडी के खतरे को बढ़ा सकता है .
पीओसीडी के लिए प्राथमिक उपचार में दवाओं के साथ जीवनशैली में बदलाव भी शामिल है
1.जीवनशैली में बदलाव : ताज़ा फल ,सब्जियाँ ,साबुत अनाज ,और प्रोटीन युक्त भोजन करे चीनी और जंक फ़ूड से बचे .फाइबरयुक्त खाध्पदार्थ ले,जैसे ओटस ,दालें,और ब्राउन राइस .
2.वजन प्रबंधन : नियमित व्यायाम करें( जैसे योग ,वाककिंग ,या कार्डियो )वजन घटाने से हार्मोन संतुलन में मदद मिलती है.
3.दवाएं: डॉक्टर ओवुलेशन को नियमित करने कलिये या हार्मोन संतुलन के लिए दवाएं,कंट्रासेप्टिवपिल्स लेना चाहिए.इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए मेटाफोर्मीन जैसी दवाएं दी जा सकती है.मासिक धर्म नियमित करने के लिए प्रोजेस्ट्रोन थेरपी ली जा सकती है.
4.घरेलु उपाय: मेथी के बीज को भिगोकर खाली पेट सेवन करे यह हार्मोन संतुलित करने में मदद करता है ,अदरक और दालचीनी की चाय मासिक धर्म को नियमित करने और सुजन को कम करने में मदद करता है .रोज खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से हार्मोन संतुलन में सुधार हो सकता है .
4.तनाव प्रबंधन : तनाव हार्मोन असंतुलन को बढ़ा सकता है .योग और ध्यान करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है
5. डॉक्टर से परामर्श : अगर पीसेओडी के कारण गंभीर लक्षण (जैसे अनियमित पीरियडस , अत्यधिक बाल झड़ना या वजन बढ़ना ) हो रहे तो एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ले.
पीसीओडी का जड़ से कोई इलाज नही है क्योंकि यह एक क्रोनिक (दीर्घकालिक ) हार्मोनल प्रोसेस है हालांकि इसमें एक मरीज उचित चिकित्सा और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है.
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