---Advertisement---

वक्फ बोर्ड क्या है ? आईये जानते है इसकी पूरी कहानी

By Nidhi Mishra

Published :

Follow
वक्फ बोर्ड क्या है ? आईये जानते है इसकी पूरी कहानी

Join WhatsApp

Join Now

सोशल संवाद /डेस्क: वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है। वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है।

ये भी पढ़े :वक्फ बिल राज्यसभा से 12 घंटे चर्चा के बाद पास:राष्ट्रपति की सहमति के बाद कानून बनेगा; मोदी बोले- यह बड़ा सुधार, ट्रांसपेरेंसी बढ़ाएगा

वक्फ एक्ट 1995

 इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है।

क्या है वक्फ की असीमित शक्तियां

सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है। 1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ। हालांकि, 1995 के संशोधन से वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां मिलीं। पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन किया और नए-नए प्रावधान जोड़कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दीं। वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(आर) के मुताबिक, अगर कोई संपत्ति, किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक (पवित्र), मजहबी (धार्मिक) या (चेरिटेबल) परोपरकारी मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी।

असीमित शक्ति

वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा। बाद में वर्ष 2013 में संशोधन पेश किए गए, जिससे वक्फ को इससे संबंधित मामलों में असीमित और पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हुई। अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं। इस ट्राइब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। उसमें गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।

YouTube Join Now
Facebook Join Now
Social Samvad MagazineJoin Now
---Advertisement---