सोशल संवाद/डेस्क : भारतीय रेलवे देश की सबसे विशाल और व्यस्त परिवहन सेवाओं में शामिल है, जहां रोज़ाना लाखों लोग सफर करते हैं। लंबी यात्रा के दौरान कई बार अचानक किसी यात्री की तबीयत खराब हो जाती है कभी चक्कर आने लगते हैं, तो कभी घबराहट, लो BP, उल्टी या तेज बुखार की समस्या हो जाती है। ऐसी स्थिति में अधिकांश लोग घबरा जाते हैं और समझ नहीं पाते कि तुरंत डॉक्टर कहां मिलेगा।
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लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय रेलवे चलती हुई ट्रेन में भी मेडिकल मदद उपलब्ध करवाता है। यह सुविधा लगभग हर मेल, पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन में मौजूद है। जरूरत पड़ने पर यात्री डॉक्टर को बुला सकते हैं और इलाज अगले ही स्टेशन पर किया जाता है।
ट्रेन में मेडिकल मदद कैसे ली जा सकती है?
अगर यात्रा के दौरान किसी यात्री की तबीयत अचानक खराब हो जाए, तो रेलवे ने सहायता पाने के लिए दो आसान विकल्प दिए हैं।
- हेल्पलाइन नंबर 139 पर कॉल करें
रेलवे का इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 139 देशभर में सक्रिय है।
यात्री या उसके साथ सफर कर रहा कोई भी व्यक्ति इस नंबर पर कॉल करके:
- मरीज की स्थिति
- कोच और सीट नंबर
- ट्रेन नंबर
- और जिस स्टेशन की ओर ट्रेन बढ़ रही है
इन सभी की जानकारी दे सकता है।
कॉल के बाद तुरंत रेलवे कंट्रोल रूम को संदेश भेज दिया जाता है, और अगला स्टेशन मेडिकल सहायता के लिए तैयार हो जाता है।
- टीटीई या गार्ड को तुरंत सूचना दें
कई बार नेटवर्क न होने या कॉल न लगने की वजह से यात्री परेशान हो जाते हैं। ऐसे समय में:
- सबसे पहले टीटीई (TTE) को बताएं
- टीटीई कंट्रोल रूम को मैसेज भेज देगा
- इसके बाद रेलवे मेडिकल टीम अगले स्टेशन पर तैयार रहती है
जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकती है, डॉक्टर मरीज की जांच करते हैं।
डॉक्टर की फीस कितनी होती है?
रेलवे डॉक्टर को बुलाने की सुविधा महंगी नहीं है।
- डॉक्टर मरीज की जांच करने के लिए सिर्फ 100 रुपये चार्ज करते हैं
- इसके बदले आधिकारिक रसीद भी दी जाती है
- अगर डॉक्टर कोई अतिरिक्त दवा देता है, तो उसकी कीमत अलग से देनी होती है
यह सुविधा काफी किफायती है और हर यात्री के लिए उपलब्ध है।
क्या दवाएं भी मिलती हैं?
रेलवे सामान्य बीमारियों के लिए फ्री दवा भी उपलब्ध कराता है।
अगर किसी यात्री को:
- बुखार
- उल्टी
- दस्त
- साधारण एलर्जी
- सिरदर्द
जैसी दिक्कत हो, तो टीटीई गार्ड के पास रखी हेल्थ किट से एक खुराक दवा मुफ़्त में दिला देता है।
कई यात्रियों को इस व्यवस्था की जानकारी नहीं होती, लेकिन रेलवे ने हर बड़े रूट पर यह मेडिकल किट अनिवार्य की हुई है।
यदि मरीज की स्थिति गंभीर हो?
यदि यात्री की हालत गंभीर लगे, जैसे:
- बेहोशी
- बहुत कम BP
- असहनीय दर्द
- हार्ट से जुड़ी समस्या
- ब्लीडिंग
तो रेलवे अगले स्टेशन पर:
- एम्बुलेंस
- मेडिकल टीम
- और जरूरत पड़ने पर अस्पताल
इन सबकी व्यवस्था पहले से कर देता है।
क्या यह सुविधा सभी ट्रेनों में मिलती है?
हाँ। यह सेवा लगभग हर मेल, पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन में उपलब्ध है। रेलवे ने इसे अनिवार्य कर रखा है ताकि किसी भी यात्री की जान खतरे में न पड़े।
FAQs – यात्री सबसे ज़्यादा पूछते हैं ये सवाल
Q1. क्या मैं चलती ट्रेन में डॉक्टर बुला सकता हूँ?
हाँ, 139 पर कॉल करके या टीटीई को बताकर तुरंत मेडिकल सहायता मंगाई जा सकती है।
Q2. डॉक्टर कितनी फीस लेते हैं?
रेलवे डॉक्टर केवल 100 रुपये शुल्क लेते हैं, जो बेहद किफायती है।
Q3. क्या दवा मुफ्त मिलती है?
सामान्य बीमारी की एक खुराक दवा टीटीई द्वारा फ्री उपलब्ध कराई जाती है।
Q4. अगर यात्री बेहोश हो जाए तो क्या होगा?
अगले स्टेशन पर डॉक्टर, मेडिकल टीम और जरूरत पड़ने पर एम्बुलेंस तैयार रखी जाती है।
Q5. क्या यह सेवा हर प्रकार की ट्रेन में मिलती है?
हाँ, यह सुविधा सभी मेल, पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों में उपलब्ध है।
Q6. अगर नेटवर्क न मिले तो क्या करें?
ऐसी स्थिति में सीधे टीटीई या गार्ड को बताना सबसे सही तरीका है।








