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जब चीफ जस्टिस सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी का हाल क्या होगा : सुधीर कुमार पप्पू

By Muskan Thakur

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जब चीफ जस्टिस सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी का हाल क्या होगा

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सोशल संवाद/ जमशेदपुर : समाजवादी चिंतक एवं वरीय अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने सुप्रीम कोर्ट के कक्ष संख्या एक में चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति बी. आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना की निंदा करते हुए कहा कि जब इस देश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तक सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी की स्थिति की सहज कल्पना की जा सकती है।

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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जलपाईगुड़ी के भाजपा सांसद पर हुए हमले पर प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर त्वरित टिप्पणी की थी, परंतु चीफ जस्टिस के मामले में ऐसी कोई प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दी।

समाजवादी चिंतक अधिवक्ता के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने हमलावर अधिवक्ता राकेश किशोर को निलंबित करने का साहसिक निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि उस अधिवक्ता का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया जाना चाहिए।

इसके साथ ही सुधीर कुमार पप्पू ने सवाल उठाया कि यदि यह घटना किसी द्विज (उच्चवर्णीय) चीफ जस्टिस के साथ हुई होती, तो क्या कोई वकील ऐसी हिमाकत कर सकता था?

सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि भले ही चीफ जस्टिस ने आरोपी को माफ कर दिया है, परंतु दिल्ली पुलिस एवं गृह मंत्री को इस मामले में संज्ञान लेकर आरोपी अधिवक्ता के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया कि उन ट्विटर (एक्स) एवं अन्य सोशल मीडिया अकाउंट धारकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए, जो हमलावर अधिवक्ता राकेश किशोर की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा कर रहे हैं। ये वही अकाउंट धारक हैं, जो पिछले कई वर्षों से समाज को धर्म, जाति और भाषा के आधार पर विभाजित करने का घृणित कार्य कर रहे हैं।

सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि यदि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री वास्तव में इस घटना से दुखी हैं, तो उन्हें इन सोशल मीडिया अकाउंट धारकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए — अन्यथा यह सीधा संकेत जाएगा कि किसी के इशारे पर उक्त वकील ने ऐसी हिमाकत की है। यदि ऐसा हुआ, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं में भी देखने को मिल सकती है।

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