सोशल संवाद / डेस्क : हिन्दू सभ्यता में कई देवी देवतायें हैं जिनमे भगवान श्री गणेश जी को बहुत ही ज्यादा माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी कार्य के शुभारंभ में सबसे पहले भगवान श्री गणेश की ही पूजा अनिवार्य है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री गणेश का सिर हाथी का क्यों है? भगवान श्री गणेश का वास्तविक सिर कहां है?
हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले भगवान श्री गणेश की आराधना वंदना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री गणेश की प्रथम आराधना के बिना कोई भी पूजा सफल नहीं हो सकती। ऐसे में सभी देवी देवताओं के पूजन से पहले भगवान श्री गणेश का पूजन किया जाता है। वही प्रथम पूज्य भगवान हैं। भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं इसीलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। भगवान श्री गणेश का नाम सामने आते ही लोगों के मन में कई कथाएं घूमने लगती हैं जिनमें से सबसे प्रचलित कथा भगवान श्री गणेश के सिर कटने से जुड़ी है। अक्सर हम सभी के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर भगवान श्री गणेश का सिर क्यों कटा? उनका सिर हाथी का क्यों है? और सबसे महत्वपूर्ण बात कि यदि इन दोनों प्रश्नों के उत्तर मिल भी जाए तो उनका सिर कटने के बाद कहां गया? यह प्रश्न सभी के मन में कौतूहल पैदा करता है।
शिव पुराण कथा के अनुसार, भगवान श्री गणेश का जन्म माता पार्वती के शरीर के मैल से माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से एक पिंड बनाकर उसमें आत्मा का प्रवेश करवाया। जिसके बाद वह पिंड सजीव हो उठा और यह यह पिंड सजीव बालक के रूप में सामने आया। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती स्नान करने के लिए जब गुफा के अंदर जा रही थी तो उन्होंने इस नन्हे बालक को आदेश दिया कि गुफा के अंदर किसी को भी प्रवेश ना दिया जाए। माता पार्वती के गुफा के भीतर जाते ही भगवान शिव वहां पहुंच जाते हैं। माँ की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने भगवान शिव को भी गुफा के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया जिस पर भगवान शिव क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने त्रिशूल से भगवान श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। सिर कटते ही माता पार्वती की चीख-पुकार और विलाप से पूरी सृष्टि काँप उठी। हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए एक नन्हे हाथी का सिर भगवान गणेश के धड़ से जोड़ दिया। तभी से भगवान श्री गणेश का सिर हाथी और धड़ बालक का बना है और इसी स्वरूप में हम भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।
देश-विदेश में भगवान गणेश के जितने भी मंदिर हैं उनमें उनकी हर मूर्ति के धड़ में हाथी का सिर लगा हुआ है। यही नहीं उनकी कोई भी तस्वीर, कैलेंडर या पेंटिंग भी ऐसी ही है। लेकिन आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि गणेश जी का असली सिर एक गुफा में है। मान्यता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का जो मस्तक शरीर से अलग कर दिया था उसे उन्होंने एक गुफा में रख दिया। इस गुफा को पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है।इस गुफा में विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदि गणेश कहा जाता है। मान्यता के अनुसार कलयुग में इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी। यह गुफा उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। मान्यता है कि इस गुफा में रखे गणेश के कटे हुए सिर की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।