सोशल संवाद / डेस्क : हिन्दू धर्म में भोग का विशेष महत्त्व है।किसी भी पूजा में सिर्फ मंत्रोच्चार , और आरती काफी नहीं है। भगवान को भोग भी लगाया जाता है। चाहें फिर घर में पूजा की जाए, या फिर किसी मंदिर में भोग और प्रसाद का विशेष महत्व होता है। हिन्दू धर्म में हर एक नियम , हर एक चीज़ के पीछे लॉजिक और कोई ना कोई महत्वपूर्ण कारण अवश्य होता है । तो क्या आप जानते हैं कि भगवान को भोग क्यों लगाते हैं। चलिए जानते हैं।
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कहते हैं कि पूजा और व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की अपवित्र चीज को ग्रहण न करें इसलिए भगवान को भोग लगाए जाने की परंपरा है। जिससे हम शुद्ध और पवित्र आहार ही ग्रहण करें। इतना ही नहीं, अथर्ववेद में भी कहा गया है कि भोजन को हमेशा भगवान को अर्पित करना चाहिए, उसके बाद ही खुद ही ग्रहण करें। शुद्ध और उचित भोजन भगवान को परोसना उनकी उपासना करने का ही एक रूप है। हम शुद्ध भोजन खाएं इसलिए भगवान को भोग लगाया जाता है।
बता दें कि भगवान को भोग लगाने के पीछे का कारण सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि इसके पीछे का तर्क आयुर्वेद और वास्तु शास्त्र का आधार भी रखता है। आयुर्वेद के अनुसार, भगवान के लिए भोजन बनाते समय व्यक्ति के मन में सद्भाव होता है जिससे तनाव दूर होता है। भगवान के लिए बनाए गए भोजन में प्रेम भाव होता है। इससे इंसान खुश होता है और खुश रहने से व्यक्ति डिप्रेशन से दूर होता है ।
वहीं, वास्तु शास्त्र के हिसाब से बात करें तो भगवान को भोग लगाकर भोजन करने से अन्न दोष दूर होता है। भगवान को कुछ देने के पीछे की साईंकोलोजी भी है. व्यक्ति आज के ज़माने में किसी को भी कुछ भी देने से हिचकता है । अपने हिस्से का खाना किसी और को देना एक बहुत बड़ा त्याग माना जाता है । भगवान को भोग लगाने से त्याग और दान की भावना भी जुड़ जाती है। आपका लड्डू आप स्वयं खाते हो और वही लड्डू जब प्रसाद कहलाता है तो आप ढूंढ-ढूंढकर उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांटते हो जिससे आपका अहंकार कम होता है ।