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ब्लूटूथ हेडफोन कितना घातक जान कर चौक  जायेंगे आप

सोशल संवाद /डेस्क : आज कल सभी लोग ब्लूटूथ हेडफोन का इस्तेमाल कर रहे है जाहे ऑनलाइन क्लास करना हो या किसी से घंटो फ़ोन से बात करना हो लोग ब्लूटूथ हैडफ़ोन का इस्तेमाल हो रही है लोग गाड़ी चलते समय भी अपने कानो में अक्सर इसे लगा कार रखते है

अगर आप भी ब्लूटूथ हेडफोन का करते है इस्तेमाल तो हो जाये सावधान वरना जा सकती है  आपका कीमती जान

रिसर्च के मुताबिक ब्लूटूथ या वायरलेस हेडफोन ब्रेन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. क्योंकि इससे निकलने वाले रेडिएशन से ब्रेन में पहले से कोई ट्यूमर को और बढ़ता है. तेजी से बढ़ती लाइफस्टाइल में ब्लूटूथ हेडफोन हमारे लाइफ का अहम हिस्सा हो गया है. घंटो बातचीत करने या फिर पसंदीदा गाने सुनने, एक्सरसाइज करने के दौरान इसका चलन तेजी से बढ़ा है. भारी डिमांड का ही असर है कि स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां फोन और अन्य गैजेट्स के साथ हेडफोन को लेकर भी लगातार कई अपडेट करते रहते हैं. लेकिन यूजर्स के लिए लंबे समय तक ब्लूटूथ हेडफोन का इस्तेमाल भारी पड़ सकता है.

ईयरफोन से ये हो सकती है परेशानी

  • कान में दर्द और सूजन
  • सुनने की क्षमता कम होना
  • बहरेपन का खतरा
  • कान में इंफेक्शन
  • सिरदर्द और माइग्रेन
  • नींद की परेशानी
  • कान में मैल जमा होना
  • दिल की धड़कन बढ़ना

डिवाइस से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी से कई तरह की बिमारी हो सकती है. इसमें यूजर्स बहरेपन से लेकर ब्रेन कैंसर तक की बीमारी शामिल है. दरअसल, ब्लूटूथ और फोन या दूसरे उपकरणों का कनेक्शन रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन की मदद से होती है. इसी वजह से ब्लूटूथ हेडफोन में किसी तरह के केबल या वायर का इस्तेमाल नहीं होता.

ब्लूटूथ हेडफोन के इस्तमाल पर अमेरिका की द यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर जेरी फिलिप्स की एक रिसर्च 2019 में प्रकाशित हुआ. रिसर्च के मुताबिक ब्लूटूथ या वायरलेस हेडफोन ब्रेन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है. क्योंकि इससे निकलने वाले रेडिएशन से ब्रेन में पहले से कोई ट्यूमर को और बढ़ता है. वायरलेस हेडफोन या एयरबड्स से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है.  ऐसे में सिर दर्द या नींद न आने जैसी समस्याएं भी हो सकती है.

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लगातार ऊंची आवाज में गाना सुनने से कम सुनाई देने या बहरेपन जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल से कान के पर्दे पर भी बुरा असर पड़ता है. तेज आवाज से कान के परदे पर लगातार वाइब्रेशन होता है. इससे कान के पर्दे फटने की आशंका होती है.

नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन के डायरेक्ट कॉन्टैक्ट में लगातार रहने से ब्रेन टिश्यू के नुकसान होने का खतरा होता है. इससे यूजर्स को न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की भी दिक्कतें हो सकती है.

ब्लूटूथ हेडफोन यूजर किसी अन्य का हेडफोन इस्तेमाल करता है तो इससे कान में इन्फेक्शन होने का खतरा होता है. ऐसे में हमेशा अपने हेडफोन का ही इस्तेमाल करना चाहिए. अगर किसी और के हेडफोन का इस्तेमाल करना पड़े भी जाए तो उसे यूज करने से पहले अच्छी तरह साफ कर लें.

Nidhi Mishra
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