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झारखंड अलग राज्य के 24 साल बाद में सड़क , स्कूल  के लिए तरस रहे है संथाल बहुल गांव सालखुडीह

By Riya Kumari

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24 years after Jharkhand became a separate state,

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सोशल संवाद / जादूगोड़ा:  झारखंड अलग राज्य के 24 साल बाद में सड़क, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र के लिए तरस रहे है। संथाल बहुल गांव सालखुडीह पोटका में जनप्रतिनिधि विकास के बड़े- बड़े दावे भले ही कर रहे है लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। जिसका जीता जागता उदाहरण है। पोटका प्रखण्ड अंतर्गत माटकू  पंचायत का सालखुडीह टोला। इधर विकास से अनदेखी की लेकर 50 संथाल परिवारों ने झारखंड सीजर के खिलाफ प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया व झारखंड सरकार से सड़क समेत बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की मांग उठाई। इस गांव में विकास की किरणे झारखंड अलग राज्य के 24 साल बाद भी नहीं पहुंची। यहां के ग्रामीण सम्राट बास्के, जगन्नाथ मुर्मू, भागीरथी बास्के ,कहते है गांव में  आज तक  कोई सांसद विधायक आज तक नहीं पहुंचा।

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खटिया में लाद कर आज भी गाँव के लोग मरीजों को पहुंचते है अस्पताल

यहां से प्रखण्ड कार्यालय 10 किलो दूर है। बरसात के मौसम में ग्रामीण बीमार पड़ने पर करीबन एक किलोमीटर कंधे और खटिया पर लाद कर मरीज को रागा मटियातक लाना पड़ता है। तब जाकर पोटका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज की इलाज संभव होता है। 

गांव में कोई वाहन  नहीं आता:

प्रधानमंत्री आवास से यहां के 10 संथाल परिवार आज भी वंचित है।स्कूल के लिए बच्चों की तीन किलोमीटर दूर जाना  पड़ता है।  बरसात में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है। कीचड़युक्त सड़क की वजह से बच्चे  बरसात के दिनों में स्कूल से वंचित  हो जाते है।गांव में आंगनवाड़ी तक नहीं है।  टाटा स्टील के  तालाब से ग्रामीण स्नान करते है यही उनकी जीवन रेखा है। इस बाबत जे एल के एल  नेता सह गांव के पूर्व मुखिया भागीरथी हांसदा कहते हुआ कि बरसात में यह गांव टापू बन जाता है। यहां 10 संथाली परिवार रहते है। देश आजाद हुए 75 साल हो गए  लेकिन विकास से अछूता यह गांव आज भी बुनियादी जरूरतों से जूझ रही है। उनके मुखिया कार्यकाल के दौरान ही गांव में बिजली,जलमीनार  व दो सौ फीट सड़क बन सकी । बहरहाल देखना है कि क्षेत्र के विधायक या सांसद को कब  इस गांव पर  उनकी नजरे पड़ती है व विकास  से अछूता यह गांव विकास के राह  पर चल पाता  है यह देखने वाली बात होगी।

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