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झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) का घरेलू क्रिकेट प्रतिस्पर्धा के प्रति उदासीन व्यवस्थ क्यो

By admin

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सोशल संवाद/डेस्क : झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के इतिहास पर आपकी पैनी दृष्टिकोण  गर्व और प्रशंसा की भावना को प्रेरित करता है। वर्ष 1935 में जमशेदपुर में क्रिकेट प्रेमियों के एक उत्साही और समर्पित समूह द्वारा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के रूप में स्थापित, एसोसिएशन ने तुरंत ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्ण सदस्य का दर्जा प्राप्त कर लिया, जो उस समय स्वयं था। नवजात अवस्था केवल और केवल क्रिकेट और क्रिकेटर्स को समर्पित था।

मन भेद कब मत भेद के भेठ चढ़ाकर भेद भाव का स्वरूप धारण कर लिया और परिणामतः व्यवस्था परिवर्तन ने कई नए मानक स्थापित किए परन्तु खेल-कूद अनवरत आक्रोश, आरोप-प्रत्यारोप और अवरोध के साथ स्तरहीन प्रतिस्पर्धी क्रिकेट का स्वरूप धारण करता गया। विश्व स्तरीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण पर प्रश्न चिह्न आईपीएल और विश्वकप मैच से वंचित क्यो? क्या ये मान ले संघ का विश्व स्तरीय क्रिकेट  स्टेडियम विश्व स्तरीय क्रिकेट आयोजन योग्य नही? क्रिकेट छोड़कर सभी का आयोजन इस स्टेडियम में संभव है। झारखंड के घरेलू क्रिकेट और क्रिकेटर्स के लिए प्रतिबंधित है, राज्य क्रिकेट संघ का मैदान।

आज दिनांक 30 अक्टूबर 2023 को भारतीय क्रिकेट, क्रिकेट विश्वकप के आयोजक के रूप में अपने स्वर्णिम कालखंड को जी रहा है और बीसीसीआई के प्रायः सभी प्रतिष्ठित राज्य क्रिकेट संघ अपने घरेलू क्रिकेट को विश्व पटल पर प्रतिस्पर्धी क्रिकेटर बनाने के लिए अपनी घरेलू क्रिकेट व्यवस्थ को व्यवस्थित स्वरूप प्रदान कर क्रिकेट मैच का सुचारू रुप से संचालन करने में अपनी उर्जा को समर्पित कर रहे है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड विश्वकप क्रिकेट आयोजन के साथ-साथ अपने घरेलू क्रिकेट का संचालन सुचारू रूप से संचालित कर रहा है।

परन्तु आज के परिवेश में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के क्रियाकलापों पर ध्यानाकर्षित करे तो ये कहने में किंचित अतिशयोक्ति नहीं होगी कि धन कुबेर झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के वर्तमान संरक्षक क्रिकेट और क्रिकेटरो को छोड़कर, धन संसोधन के प्रति अपनी सारी उर्जा खर्च करने में ध्यान मग्न है, कारण वर्तमान समय ⌚ में झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के कई जिला में घरेलू क्रिकेट का संचालन बाधित है। जमशेदपुर भी झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के उदासीन कार्यशैली से अछूता नही है।

सितंबर माह आते ही संघ द्वारा संचालित क्रिकेट के सभी प्रारूपों के फार्म वितरित कर खिलाड़ीओ का रजिस्ट्रेशन कर लिया जाता था और अक्टूबर माह से घरेलू क्रिकेट का शुभारंभ हो जाता था और कई खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से अपनी उपयोगिता साबित कर राज्य क्रिकेट टीम में स्थान प्राप्त करते है! वर्तमान वर्ष में जमशेदपुर में अभी तक घरेलू क्रिकेट के प्रति संघ का उदासीन कार्यशैली उदीयमान क्रिकेटरों के भविष्य पर गंभीर प्रश्न चिह्न लगा रहा हैं।

झारखंड राज्य क्रिकेट संघ को क्रिकेट संचालन से कोई लेनदेन नही है, संघ के वर्तमान संरक्षक संघ की व्यवस्थ पर अपने आधिपत्य और वर्चस्व को कैसे बनाए रखे, इसके लिए किस सदस्य को संघ से बाहर करना जो इनके भ्रष्ट क्रियाकलाप का विरोध करे और नए ऐसे सदस्य को सदस्यता प्रदान करना की भविष्य में इनके वोटर के रूप में खड़े रहे, सत्तालोलुप अधिकारी अपने अधिकार के मद में इतने चुर है कि सदस्यो की संख्याबल से पेट नही भर रहा अब तो क्लब संचालको को धमकी देकर क्लब के अध्यक्ष और सचिव पद पर अपने विचार सम्मत व्यक्ति को पदस्थापित कर कारण सत्ता प्राप्ति में संख्याबल से मजबूत रहे और येन-केन-प्रकारेण धन संसोधन का माध्यम बना बाहरी, उम्रदराज खिलाड़ीओ और विभिन्न माध्यमो से दायें-बायें कर संघ के पैसो का बंदरबांट करे! क्या ये मान ले की संघ के पास घरेलु क्रिकेट को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मैदान उपलब्ध नही हैं। संघ के द्वेषपूर्ण कार्य संस्कृत ही मैदान उपलब्ध नही होने का प्रमुख कारण है।

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