December 21, 2024 6:27 pm

उत्तरकाशी में झारखंड के 15 मजदूर लड़ रहे जिंदगी की जंग

सोशल संवाद/डेस्क : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार की तड़के सुरंग में हादसा के बाद वहां करीब 40 मजदूर फंस गए हैं। इनमें 15 कामगार अकेले झारखंड के विभिन्न इलाकों के निवासी हैं। इस घटना के बाद पूरे झारखंड में कोहराम मच गया है। सुरंग में फंसने वाले मजदूरों में तीन लोग रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के खीराबेड़ा गांव के निवासी हैं, जबकि दो लोग गिरिडीह जिले के बिरनी प्रखंड के रहनेवाले हैं। वहीं छह अन्य लोग कोल्हान के निवासी हैं। समाचार लिखे जाने तक फंसे मजदूरों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है।

उत्तराखंड से मिली जानकारी के अनुसार सभी कामगारों को ट्यूब के माध्यम से खाना और पानी की आपूर्ति की जा रही है। फिलहाल सभी लोग सुरक्षित बताए जा रहे हैं। रविवार की सुबह देश भर में लोग दीपावली का त्योहार मनाने की तैयारी कर रहे थे। उधर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के खीराबेड़ा गांव के तीन मजदूर सहित झारखंड के 15 कामगजारों के फंसने की सूचना मिली। घटना से पहले शनिवार को 70 मजदूर काम करने गए थे। घटना पहले शौच और अन्य काम के लिए कुछ लोग बाहर निकल गए थे।

घटना की जानकारी ग्रामीणों को मिल गई है। सुरंग में फंसे तीनों मजदूरों के घरवाले परेशान हैं। परिजनों को बताया गया है कि तीनों मजदूर ठीक हैं। फंसे मजदूरों में अधिकांश एक नवंबर को काम करने गए थे। खीराबेड़ा गांव से नौ मजदूर काम करने गए थे। इनमें छह मजदूर एक नवंबर को गए थे। सुरंग में फंसे अनिल बेदिया और राजेन्द्र बेदिया छह माह से अधिक समय से वहां काम कर रहे थे। इन्हीं दोनों मजदूरों ने काम करने के लिए अन्य को बुलाया था। सुरंग में फंसे अनिल बेदिया की मां का कहना है कि हमारे तीन पुत्र और एक पुत्री हैं।

बड़ा बेटा अनिल उसके बाद सुनील और सिकंदर हैं। बड़ा बेटा अनिल पहले दूसरी जगह काम करता था। छह माह पहले उत्तराखंड गया था। कभी पैसे की जरूरत होती थी तो मांगने पर वह भेज देता है। भगवान से प्रार्थना करते हैं कि बेटा सही सलामत घर आए। वहीं राजेंद्र के पिता श्रवण बेदिया ने बताया कि इसी महीने की एक तारीख को बेटा काम करने के लिए गया था। भगवान बेटे को जल्द बाहर निकाले। वहीं सुखराम बेदिया के पिता बढ़न बेदिया कहां कि जब बेटा काम करने जा रहा था उसी समय मैंने रोका था, परंतु वह एक नवंबर को चला गया। सुखराम के भाई मनोज ने बताया कि उसके साथ काम कर रहे नरेश से बात हुई है उसने बताया है कि सभी ठीक हैं घबराने की कोई बात नहीं है।

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