सोशल संवाद/डेस्क : वर्तमान युग में सड़क दुर्घटना शहरो की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है और ये अपने आप में एक विकराल रूप धारण कर रही है बता दे की देश में हर साल लगभग 1.68 लाख लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में चली जाती है। यानी हर एक दिन में 462 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। इसमें से कुछ ऐसे भी लोग जिनकी जान तो बच जाती है पर वो लम्बे समय तक या जीवन भर के लिए अपाहिज बनकर रह जाते है|
उनके घरो में नए साल की खुशी गम में बदलने को मिनटों का समय न लगा| कई घरो का चिराग बुझ चूका था उनके माता पिता बेहाल थे|घटना की वजह चाहे जो भी रहे रश ड्राइविंग या गैर जिम्मेदराना हरकत लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल ये है की सड़क सुरक्षा को लेकर हमारी सड़के कितनी सुरक्षित है क्या काले कंक्रीट से हमारी सड़के बन रही है या जहा तहा अपने सुविधा के अनुसार चौराहा घुमावदार कर दिए जाते है? क्या हमने कभी भी सड़क सुरक्षा के हिसाब से इन छोटी बड़ी चीजो पर ध्यान दिया? और सबसे बड़ा सवाल ये है की शहर के कुछ ऐसे स्पॉट है जहा सालो से दुर्घटना होती रहती है और हम इस पर विचार विमर्श थोड़ी देर के लिए करते है और फिर वापस उसी हालत में लौट आते है पर अब चिंता या विचार विमर्श करने से नही आवाज उठाने पर काम होगा दुर्घटना पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता लेकिन कम जरुर कर सकते है| जगह – जगह सड़कों पर अब भी कई जगह गढ़े है कई जगह ब्लैक स्पॉट है जहा आज भी दुर्घटना हो रही है| जब प्रशासन फाइन बढ़ाने और चेकिंग के दौरान पैसे लेने से पीछे नही हटती तो हम आपने हक़ से कैसे पीछे हटे यहाँ बुनियादी बदलाव जरुरी है|
हम अक्सर देखते है की सड़क के बीचो बिच विज्ञापन बोर्ड लगे होते है वो भी सबसे ज्यादा ट्राफीक वाले एरिया पर जाहिर सी बात है की विज्ञापन पर लोगो का ध्यान आकर्षित होगा और सड़क दुर्घटना होगी बात छोटी सी है पर ये छोटी सी बात कई लोगो की जान ले जाती है बता दे की सिर्फ एक एजेंसी के स्वार्थ के लिए शहर के लोगो के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है| ऐसे कई सारे कारण है जहा सड़क दुर्घटना में सिर्फ आम जनता ही नही बल्कि प्रशासन भी जिम्मेदार है|