सोशल संवाद/डेस्क ( रिपोर्ट – आनंद सिंह ) : झारंखड की अस्मिता, आदिवासी गौरव, महिलाओं और युवाओं के स्वाभिमान की साड़ी में जनता के सामने आई झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने बीते दिनों गिरीडीह के झंडा मैदान की जनसभा में हुंकार भरी। मंच पर वह खूब रोईं। उनकी आंसुओं के साथ झारखंड की महिलाओं, आदिवासियों और युवाओं की संवेदना भी बही। सास-ससुर की दुहाई, नारेबाजी, कायर्कर्ताओं में उत्साह बता रहा था कि कल्पना सोरेन ही हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद वह स्थान भर सकती है। मंच पर भाषण के दौरान उनके आंसू निकले और कायर्कर्ताओं ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। स्पष्ट हैः उनकी स्वीकार्यता पार्टी में बढ़ गई है।
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सार्वजनिक मंच पर सामने आईं कल्पना सोरेन में राजनीतिक जीवन की शुरुआत झारखंड की राजधानी रांची से न करके गिरीडीह को चुना। आदिवासी की परंपरागत साड़ी में कार्यक्रम में पहुंची कल्पना ने पहले पूजा की। उन्होंने अपने ससुर शिबू सोरेन को याद किया। गिरीडीह वही स्थान है, जहां से शिबू सोरेन से महाजनी व्यवस्था के खिलाफ हुंकार भरी थी। अब उनकी पुत्रवधू कल्पना ने केद्र सरकार के खिलाफ, झारखंड की आदिवासी जनता के बीच आंसुओं के बीच हुंकार भरी।हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अब मुख्यमंत्री चंपई सोरेन हैं। हेमंत सोरेन को जेल में बंद करने के खिलाफ 27 फरवरी को रांची में संकल्प रैली की गई। वहां कल्पना सोरेन नहीं गई थीं। हालांकि उस रैली में हेमंत को जेल से छुड़ाने और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से कायर्कर्ताओं ने नारेबाजी की लेकिन वह उत्साह नहीं देखने को मिला जो गिरीडीह में दिखाई पड़ा।
कयास लगाया जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कल्पना गिरीडीह से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। यह उनके ससुर की सियासी यात्रा, संघर्ष की भूमि रही है। इस जनसभा से एक बात स्पष्ट हो गई कि हेमंत के जाने के बाद कल्पना ही कार्यकर्ताओं मे वही जोश भर सकती है। इंडिया गठबंधन को एक राजनीतिक धार दे सकती है। कल्पना के चुनाव मैदान पर उतरने से विपक्षी पार्टियों को कड़ी टक्कर मिलेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि कल्पना सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। 1996 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी के बाद बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी बनी थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कल्पना के नाम पर सीता सोरेन ज्यादा ही खफा थीं। माना जाता है कि सीता सोरेन के विरोध को खत्म करने के लिए ही कल्पना को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे नहीं बढ़ाया गया।
गिरीडीह में मंच पर कल्पना सोरेन ने अपनी आवाज के साथ जनता की आवाज को जोड़ा। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। यह कहा जा सकता है कि उनकी जनसभा में हुंकार भरने से झारखंड मुक्ति मोर्चा के वर्करों में जोश भर गया। कल्पना ने गिरीडीह में यह एहसास करा दिया कि वह पार्टी की मंझी हुई कार्यकर्ता हैं और जब जैसा, तब तैसा के हिसाब से चल सकती हैं।
आपको पता ही होगा कि रांची के बड़गाई अंचल स्थित 8.46 एकड़ भूमि घोटाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया। इस मामले में अदालत ने हेमंत सोरेन एवं निलंबित राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद की न्यायिक हिरासत की अवधि 21 मार्च तक बढ़ा दी है।
जमीन घोटाला मामले में ईडी की ओर से हेमंत सोरेन को कई बार समन भेजा गया था। बता दें कि हेमंत सोरेन आठवीं बार समन भेजने पर पूछताछ में शामिल होने के लिए राजी हुए थे। वहीं, 31 जनवरी को नौवें समन पर उनसे आठ घंटे तक पूछताछ की गई। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ताजा घटनाक्रम में हेमंत को बाकायदा एक कोर्ट समन जारी किया गया है और उनसे पूछा गया है कि आपने ईडी के सात समन को इग्नोर क्यों किया। इस मामले की सुनवाई अब अगले महीने की 3 तारीख तय की गई है।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमेत सोरेन ने आत्मविश्वास के साथ कहा था कि वह आंसू नहीं बहाएंगे। राज्य के गठन को 24 साल हो गए लेकिन राज्य में घोटाला 2019 के बाद से नजर आ रहा है। ऐसा लग रहा कि इसके पहले राज्य में कोई घोटाला हुआ ही नहीं। उन्होंने कहा कि पूरे देश के आदिवासी खतरे में हैं। आदिवासी अस्मिता को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। इन्हें दबाने की कोशिश की जा रही है। यदि केंद्र सरकार हमारे खिलाफ कोई सबूत पेश करें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ्तारी राज भवन में हुई है। संदेह है कि गिरफ्तारी में राजभवन का भी हाथ है। यह साजिश है और इसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। हालांकि, बाद के दिनों में निर्दलीय विधायक सरयू राय ने विधानसभा में कहा था कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी में राजभवन का कोई हाथ नहीं है। वह तो पहले से ही ईडी की अभिरक्षा में थे। हेमंत ने खुद ही ईडी के अफसरों से कहा कि वह राजभवन जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंपना चाहते हैं और राजभवन आकर उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा सौंपने के बाद ईडी की तरफ से उनकी गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी गई। इसमें राजभवन की भूमिका को अंडरलाइन करना कहीं से ठीक नहीं।
दूसरी ओर, सीपीआईएमएल के विधायक विनोद सिंह ने कहा था कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय सबसे ज्यादा जमीन घोटाले हुए लेकिन उन्हें ओडिशा में राज्यपाल जैसे सांविधानिक पद पर बैठाकर बचाया जा रहा है। केंद्र सरकार को गैर भाजपा की सरकार में ही भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जमीन घोटाले के नाम पर हेमंत सोरेन को फंसाया गया है। यदि जमीन घोटाले की बात की जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी नहीं बच सकते।
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय का भी कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय राज्य में बहुत जमीन घोटाले हुए। इसका कई स्तर पर विरोध भी किया गया लेकिन केंद्र सरकार चुपचाप बैठी रही। उन्होंने रघुवर दास का स्पष्ट नाम लिया और कार्रवाई की बात कही। उन्होंने यहां तक कहा कि जो महिला अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद हैं, उन्हें रघुवर दास की सरकार ने क्लीनचिट दे दी थी। इस मामले की भी जांच होनी चाहिए।
बहरहाल, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद राज्य में केंद्र सरकार के खिलाफ और धूमिल पड़ रही राजनीति में जान फूंकने के लिए उनकी पत्नी कल्पना सोरेन मुखर हो गई है। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। साहिबगंज जिले के उधवा प्रखंड मुख्यालय स्थित खेल स्टेडियम परिसर में झामुमो के कार्यकर्ता मिलन समारोह में उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन को जेल में बंद करने वालों को इसका हिसाब देना होगा। उन्होंने केंद्र सरकार यानी भाजपा के खिलाफ हूल यानी क्रांति की हुंकार भरी है। उन्होंने कहा कि 18वीं सदी में अंग्रेजी शासन के खिलाफ संथाल इलाके में हूल हुई थी। अब केंद्र सरकार सरकार के खिलाफ साहिबगंज की धरती से क्रांति होगी।
उन्होंने वाकपटुता और भाषण शैली से यह साबित किया कि वह हेमंत सोरेन की उत्तराधिकारी हैं। हेमंत के जेल जाने के बाद निराश झामुमो के नेताओं-कार्यकर्ताओं में उन्होंने जोश भरा। कल्पना ने कहा कि उन्हें सोरेन परिवार की बहू होने पर गर्व है।
गिरीडीह में आयोजित जनसभा में उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन और सास रुपी सोरेन से संघर्ष की जो सीख मिली है, उसे बेकार नहीं होने देंगे। उनके आंसुओं ने कार्यकर्ताओं को झकझोरने का काम किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आंसू की एक-एक बूंद का बदला लेना है। कल्पना सोरेन के तेवर, सियासी दावपेंच से विपक्षी खेमे में क्या असर पड़ेगा, यह आने वाला समय बताएगा।