July 27, 2024 5:31 am
Search
Close this search box.

न जमशेदपुर से, न धनबाद से लोस चुनाव लड़ेंगे सरयू; पूरा फोकस जमशेदपुर ईस्ट को चमकाने पर

सोशल संवाद/डेस्क (रिपोर्ट – आनंद सिंह ) : अब, जबकि यह तय हो गया है कि जमशेदपुर पूर्वी के विधायक भाजपा में नहीं जा रहे हैं, यह मान लेना चाहिए कि वह अकेलेदम विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। रविवार को भारतीय जनतंत्र मोर्चा के सम्मेलन में एक प्रस्ताव यह आया था कि वह जमशेदपुर अथवा धनबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ें लेकिन उन्होंने इस विनम्रतापूर्वक ठुकरा दिया। उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी प्राथमिकता फिलहाल जमशेदपुर पूर्वी के पेंडिंग पड़े विकास कार्यों को पूरा करना है। ऐसे में यह प्रायः तय हो गया है कि वह किसी अन्य विधानसबा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए सोच नहीं रहे और यह भी तय हो गया है कि वह लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे।

सरयू राय देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में शुमार हैं, जो संविधान, कानून और उनकी धाराओं की बारीक समझ रखते हैं। वह हड़बड़ी में कोई फैसला न लेने के लिए भी जाने जाते हैं। जो भी विषय उनके पास आता है, उसे पूरी तरह समझते हैं। रेफरेंस सेक्शन उनका बेहद मजबूत है। वह फाइलों को पलटते हैं। चीजों को समझने के प्रति वह किसी विद्यार्थी की ही भांति व्यवहार करते हैं। ऐसे में, जब भारतीय जनतंत्र युवा मोर्चा के जमशेदपुर के अध्यक्ष अमित शर्मा और भाजमो के धनबाद जिलाध्यक्ष उदय सिंह ने उनसे क्रमशः जमशेदपुर और धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने उनके दिल की बात तो सुन ली पर साथ ही यह भी साफ कर दिया कि लोकसभा का चुनाव लड़ना कोई हंसी-ठट्ठा नहीं है। पांच-पांच, छह-छह विधानसभाओं को मिलाकर एक लोकसभा का चुनाव लड़ा जाता है जिसमें मानव संसाधन, धन और अन्य चीजों की जरूरत होती है जो फिलहाल भारतीय जनतंत्र मोर्चा के पास तो नहीं है। सरयू राय का यह भी कहना था कि चुनाव लड़ने के लिए चुनाव लड़ लेना उनकी आदत में शुमार नहीं है। यह भी साफ किया कि भाजमो का गठन एक विशेष परिस्थिति में हुआ था और अब यह मोर्चा धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। आइंदा कभी मौका मिला तो देखा जाएगा पर अभी मोर्चा लोकसभा चुनाव लड़ पाने की हालत में नहीं है।

दरअसल, सियासत की पक्की समझ और सिद्धांतों को आत्मसात कर राजनीति करना वैसे भी बेहद दुष्कर कार्य माना जाता है। सरयू राय को पता है कि आज वक्त की नजाकत क्या है। उन्हें सार्वजनिक तौर पर इस बात का इजहार करने में भी कोई दिक्कत नहीं होती कि भाजपा को चलाने वाले किसी नेता ने उनसे आज तक संपर्क नहीं साधा और न ही उन्होंने किसी से संपर्क साधने की कोई चेष्टा की। कोई और होता तो अपने मित्र प्रधानमंत्री का नाम लेकर न जाने क्या-क्या कर डालता पर ये सरयू राय हैं जो अपने सिद्धांतों से लेश मात्र भी डिगते नहीं हैं। उन्होंने सोशल संवाद के शशि से दो टूक कहा कि पिछले दो साल से लोग बाजार में कह रहे हैं कि मैं भाजपा में जा रहा हूं पर सच यही है कि भाजपा ने मुझसे और मैंने भाजपा से इस संबंध में कोई चर्चा तक नहीं की है। इस तरह का बोल्ड स्टेटमेंट सिर्फ सरयू राय ही दे सकते हैं।

सरयू राय यह दावा जरूर करते हैं कि जो काम 25 साल में नहीं हुआ, वह काम उन्होंने चार साल (जिसमें दो साल कोरोना के थे) में करके दिखा दिया। वह उदाहरण भी देते हैं। पूर्वी जमशेदपुर में हर किसी को पक्का मकान, बिजली, पानी मिले, इस दिशा में उनका योगदान सदैव याद किया जाएगा। आने वाले हफ्ते भर के भीतर विभिन्न बस्तियों में टाटा की बिजली दे दी जाएगी। इसके साथ ही 86 बस्ती के रहवासियों के मकान भी नहीं तोड़े जाएंगे। तो, एक जो डर उनके (86 बस्ती वालों के) मन में बैठा था, वह बीते माह दूर हो गया। राज्य के वित्त मंत्री और प्रभारी मंत्री रामेश्वर उरांव ने सरयू राय के सवाल के जवाब में दो टूक कहा कि चाहे किसी का मकान 10 डिसमिल में बना हो या 15 डिसमिल में, सरकार किसी भी मकान को तोड़ने नहीं जा रही है। 86 बस्ती का मामला कोई आज का मामला नहीं था। लेकिन, जिस तरह से उसका समाधान किया गया, वह शानदार ही कहा जाएगा। वैसे, सरयू राय 86 बस्ती के रहवासियों को मालिकाना हक दिलवाने की अपनी लड़ाई शुरू कर चुके हैं। वह उन्हें मालिकाना हक दिलवाने के लिए कृतसंकल्पित प्रतीत होते हैं।

कल उन्होंने सम्मेलन में कहा भी कि मैंने इस दौरान 40 किलोमीटर की शानदार सड़कें बनवाई हैं। यह बात सही है कि पूर्वी जमशेदपुर में सड़कों का संजाल बिछाने के प्रति उनका जुनून उन्हें एक अलग ही स्तर पर ले जाता है। सड़क निर्माण में अगर कोई भी शिकायत मिलती है तो वह दिन या रात नहीं देखते। सूचना मिलते ही वह एक्शन ले लेते हैं।

दरअसल, जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के पिछड़े इलाकों को एक स्टैंडर्ड इलाके में बदलने के लिए विधायक सरयू राय दिन-रात लगे हुए हैं। विकास कार्य लगातार करवा रहे हैं। उनकी इच्छा है कि कोई भी इलाका विकास के मामले में पिछड़ा न रहे। बिजली, पानी, आवास, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं हर किसी को मिलें। इसके लिए वह रोज मेहनत करते हैं। हर किसी की समस्या को सुनते हैं और समाधान के प्रयास में लग जाते हैं। न दिन देखते हैं, न रात। इसका एक ताजा उदाहरण 24 फरवरी की रात सवा बारह बजे तब देखने को मिला, जब विधायक जी को भुईयाडीह में बन रही मुख्य सड़क की गुणवता के बारे में स्थानीय लोगों ने फ़ोन किया, वाट्सएप्प भी भेजा। जैसे ही उन्हें फोन और वाट्सएप्प पर मैसेज मिले, उन्होंने तत्काल इसका संज्ञान लेकर रात में ही सड़क निर्माता का पता कर उन्हें नींद से जगाया और कहा कि कार्यस्थल पर जाकर गुणवता सही करायें। सरयू राय ने सड़क निर्माता से कहाः मैं अभी ट्रेन में हूं। शहर से बाहर हूं। रविवार, 25 फरवरी को जमशेदपुर पहुंच रहा हूं। मैं ज़िम्मेदार अभियंता के साथ सड़क निर्माण का निरीक्षण करूंगा।

सरयू राय मानते हैं कि कोई भी निर्माण कार्य हो, उसकी गुणवत्ता हर हाल में स्तरीय होनी ही चाहिए। वह कहते हैः गत 20-25 साल के समय में जो होता रहा, वह तब चला। लेकिन, अब नहीं चलेगा। मेरे क्षेत्र में काम करना हो तो हर संवेदक और अभियंता इस बात को समझ लें।

सरयू राय के अनुसारः छाया नगर से भुईयाडीह, बाबूडीह, लाल भट्ठा का क्षेत्र मेरे लिए अपने घर जैसा क्षेत्र है। मैंने ठान रखा है कि उस इलाके को विकसित करके रहूंगा। यहाँ के लिए पीने का पानी, बिजली, सड़क, सफ़ाई, जल निकासी सब बेहतर करने पर काम चल रहा है। दो साल के भीतर इस इलाक़े की तस्वीर बदल जाएगी। विकास के साथ रोज़गार का काम भी होगा। मेरे क्षेत्र के सबसे पिछड़े इलाक़ों में से यह एक है। यहाँ की जन सुविधाएँ शेष जमशेदपुर के टक्कर का बनाने पर काम चल रहा है। सामान्य एवं कमजोर वर्ग के लोगों का यह इलाक़ा आने वाले दिनों में आगे बढ़ेगा, ऐसा मेरा संकल्प है। इस इलाक़े में काम करने वाला तंत्र सरकारी हो या कंपनी का हो, उसे इस बात को ध्यान में रखना ही होगा कि मैं विकास कार्यों से रत्ती भर भी समझौता नहीं कर सकता। मुझे हर हाल में गुणवत्ता वाला काम चाहिए। जो भी काम हो, सबसे बढ़िया हो। इस क्षेत्र में विकास के लिए मेरे लिए दिन-रात एकसमान है। इसलिए रात के एक बजे ट्रेन में सफ़र करते हुए यहां हो रहे काम की निगरानी कर रहा हूं।

दरअसल, सरयू राय चाहते हैं कि उनकी विधानसभा के जो क्षेत्र विकास की गति से कदमताल न कर पाए, उन्हें वो आगे बढ़ाएं और वहां के लोगों को कम से कम मूलभूत जरूरतों को पूरा करें। इसके अलावे उनके दिमाग में उन क्षेत्रों के विकास की कई योजनाएं भी हैं। हां, वह हर काम में टाइम बाउंड और क्वालिटी वर्क रिजल्ट भी चाहते हैं। यही वजह है कि रात में सवा 12 बजे भी वह जनता के फोन रिसीव कर लेते हैं। जनता भी उनसे इतना प्यार करती हैं कि जैसे ही उसे कोई गड़बड़ी दिखती है, वह तत्काल फोन कर पूरी जानकारी देती है।

Print
Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp
जाने छठ पूजा से जुड़ी ये खास बाते विराट कोहली का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में 5 नवंबर 1988 को हुआ. बॉलीवुड की ये top 5 फेमस अभिनेत्रिया, जिन्होंने क्रिकेटर्स के साथ की शादी दिवाली पर पिछले 500 सालों में नहीं बना ऐसा दुर्लभ महासंयोग सोना खरीदने से पहले खुद पहचानें असली है या नकली धनतेरस में भूल कर भी न ख़रीदे ये वस्तुएं दिवाली पर रंगोली कहीं गलत तो नहीं बना रहे Ananya Panday करेगीं अपने से 13 साल बड़े Actor से शादी WhatsApp में आ रहे 5 कमाल के फीचर ये कपल को जमकर किया जा रहा ट्रोल…बच्ची जैसी दिखती है पत्नी