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एमजीएम में परेशान हो रहे हैं मरीज, पुराने अस्पताल के मरीजों को भी दिक्कत : सरयू राय

By Tamishree Mukherjee

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एमजीएम में परेशान हो रहे हैं मरीज

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सोशल संवाद / जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि एमजीएम कॉलेज अस्पताल के नए भवन में ओपीडी सेवा की शुरुआत करने से एमजीएम के पुराने अस्पताल में प्रबंधकों और मरीज़ों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पुराने अस्पताल में मरीज़ों के इलाज पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. नए भवन में ओपीडी सेवा शुरू करने का सरकार का निर्णय अव्यवहारिक है और स्वास्थ्य मंत्री की अदूरदर्शिता एवं निहित स्वार्थी मानसिकता का परिचायक है.

यहां जारी एक बयान में राय ने कहा कि बुधवार की दोपहर उन्होंने एमजीएम कॉलेज का भ्रमण किया. कॉलेज अस्पताल का नया भवन और उसमें शुरू की गई ओपीडी को भी देखा. नये भवन का निर्माण कर रही संस्था एल एंड टी के अभियंताओं से बात की. एमजीएम कॉलेज के प्राचार्य से मिला. मानगो नगर निगम के उप नगर आयुक्त से वार्ता भी की.

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राय ने कहा कि ओपीडी में कुछ भी नए भवन का अपना नहीं है. डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ़ एवं अन्य सभी कर्मी पुराने एमजीएम अस्पताल के हैं. इतना ही नहीं, वहां लगे टेबुल, कुर्सी, बिस्तर, पर्दे, रक्त संग्रह उपकरण आदि भी पुराने एमजीएम अस्पताल से लाई गई हैं. नए अस्पताल भवन के लिए तो एक पैसे की भी ख़रीदारी नहीं हुई है. पुराने अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों को नए अस्पताल के ओपीडी में लाने से पुराने और असली कॉलेज की कार्यक्षमता पर भी विपरीत असर पड़ा है, वहां मरीज़ों की चिकित्सा प्रभावित हुई है.

राय ने कहाः एल एंड टी के अभियंताओं ने मुझे बताया कि अभी तक भवन का निर्माण पूरा नहीं हुआ है. भवन का अस्पताल विंग का निर्माण भी अधूरा है. भवन को अभी तक कॉलेज अस्पताल प्रबंधन को स्थानांतरित नहीं किया गया है. अभी इसमें समय लगेगा. राय का दावा है कि उन्हें मानगो नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि भवन के लिए ऑक्यूपेंसी (उपयोगिता) प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. नए भवन में पानी की व्यवस्था नहीं है. यहां अस्पताल संचालन के लिए 5 लाख लीटर पानी की खपत प्रतिदिन होगी जिसमें से 3 लाख लीटर पानी नगर निगम से मिलेगा. नगर निगम मानगो के रिहायशी इलाक़ों की जलापूर्ति में कटौती करने के लिए तैयार नही है.

इसका नतीजा हुआ है कि अस्पताल के लिए जलापूर्ति का स्रोत तलाशने के लिए परामर्शी नियुक्त करने की बात सरकार में चल रही है. अर्थात् नए भवन में अस्पताल चलाने के लिए पानी का बन्दोबस्त करने में कम से कम दो साल का समय लगेगा. ऐसी स्थिति में यहाँ ओपीडी सेवा शुरू करने आम जनता को धोखा देना है. इस धोखाधड़ी के लिए मुख्यतः राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने चुनावी लाभ के लिए झांसा देकर मुख्यमंत्री से ओपीडी का उद्घाटन कराया.

सरयू राय ने कहा कि नए भवन मे आरम्भ अस्पताल का उधार का ओपीडी पुराने अस्पताल के लिए भी समस्या बन गया है. मरीज़ों के रक्त जाँच की यहां कोई व्यवस्था नहीं है. यहां केवल रक्त संग्रह होता है जिसे जांच के लिए पुराने अस्पताल में भेजा जाता है. इसी तरह यहां के डाक्टर मरीज़ों को मात्र परामर्श देते हैं. इलाज के लिए मरीज़ या तो पुराने एमजीएम अस्पताल जाते हैं या किसी अन्य अस्पताल में उन्हें भेजा जाता है. मरीज़ों को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ती है. नए अस्पताल में इमरजेंसी चिकित्सा सुविधा भी नहीं है. ऐसी स्थिति के लिए एकमात्र जिम्मेदार स्वास्थ्य मंत्री हैं जिन्होंने इसका दिखावा किया है.

राय ने बयान में कहा है कि अस्पताल परिसर में पानी के लिए दो डीप बोरिंग किए गये हैं जबकि अस्पताल के लिए पर्यावरण स्वीकृति की शर्त है कि यहाँ भूगर्भ जल की एक बूंद का भी उपयोग नहीं किया जाएगा. पर्यावरण स्वीकृति शर्त के नियम का उल्लंघन करने के लिए सरकार के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ज़िम्मेदार हैं. जब सरकार ही नियम का उलंघन करेगी तो आम लोगों को रोकने का उसे कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि नये अस्पताल भवन का उद्घाटन स्वास्थ्य सेवा के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक हठधर्मिता और निहित स्वार्थ पूरा करने के लिए की गई है.

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