सोशल संवाद/डेस्क : PM ने कहा कि महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को जवाब मिला है। देश के कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी है। महाकुंभ में राष्ट्रीय चेतना के दर्शन हुए और महाकुंभ के उत्साह-उमंग को महसूस किया। देश की सामूहिक चेतना का नतीजा महाकुंभ के दौरान देखने को मिला। युवा पीढ़ी भी पूरे भाव से महाकुंभ से जुड़ी।
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पीएम मोदी ने मॉरीशस यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वहां के गंगा तालाब में त्रिवेणी का पवित्र जल डाला। अनेकता में एकता हमारी बहुत बड़ी ताकत है। इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें, ये हमारा दायित्व है।
महाकुंभ से निकला अमृत हमारे संकल्पों की सिद्धि का बहुत बड़ा माध्यम बनेगा
हमारे देश के छोटी-बड़ी नदिया हैं, कुछ ऐसी हैं कि जिन पर संकट आ रहा है। कुंभ से हमें दिखा कि नदी उत्सव को विस्तार देना होगा। पीढ़ी को पानी का महत्व पता चलेगा, साफ-सफाई पर बल मिलेगा, नदिंयों की रक्षा होगी। भरोसा है कि महाकुंभ से निकला अमृत हमारे संकल्पों की सिद्धि का बहुत बड़ा माध्यम बनेगा।
एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना दिखती है
जब अलग क्षेत्र, अलग भाषा के लोग संगम पर उद्घोष करते हैं तो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना दिखती है। वहां छोटे-बड़े का भेद नहीे था। ये दिखाता है कि एकता का अद्भुत तत्व हमारे भीतर रचा-बसा है। एकता की यही भावना भारतीयों का सौभाग्य है। विश्व में जो बिखराव की स्थिति है, उस दौर में एकजुटता का विराट प्रदर्शन हमारी ताकत है। ये हमारी विशेषता है, कहते आए हैं, महसूस किया है, इसी के विराट रूप का अनुभव प्रयागराज महाकुंभ में किया है। हमारा दायित्व है कि हम इस भावना को समृद्ध करते रहें।
मॉडर्न युवा पीढ़ी महाकुंभ और दूसरे उत्सवों से जुड़े रहे
प्रधानमंत्री ने कहा- मॉडर्न युवा पीढ़ी महाकुंभ और दूसरे उत्सवों से जुड़े रहे। आज भारत का युवा परंपरा, आस्था, श्रद्धा को गर्व के साथ अपना रहा है। जब एक समाज की भावनाओं में अपनी विरासत पर गर्व का भाव बढ़ता है तो हम ऐसी ही भव्य प्रेरक तस्वीरें देखते हैं, जो हमने महाकुंभ के दौरान देखी हैं। इससे आपसी भाईचारा और आत्मविश्वास बढ़ता है कि देश के रूप में बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। ये भावना आज के भारत की बहुत बड़ी पूंजी है। महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं। एकता का अमृत इसका पवित्र प्रसाद है। महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा, जिसमें देश के हर क्षेत्र से हर कोने से आए लोग एक हो गए। अहम त्याग कर वयं के भाव से मैं नहीं, हम की भावना से प्रयाग राज में जुटे, त्रिवेणी का हिस्सा बने।
