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सावन: भक्ति, संयम और प्रकृति से जुड़ाव का महीना, शिव आराधना से मिलती है शांति

By Riya Kumari

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Sawan A month of devotion, restraint and connection with nature, peace is achieved by worshipping Shiva (1)

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सोशल संवाद / जमशेदपुर( लेखक: आशीष सिंह ) :  भारत में वर्षा ऋतु केवल मौसम का परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत है। जब आकाश में काले बादल छाते हैं और धरती पर पहली बारिश गिरती है, तभी आरंभ होता है श्रावण—जिसे हम सावन के रूप में जानते हैं। यह पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, जिन्हें त्याग, तपस्या और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है।

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सावन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था, आत्मशुद्धि और प्रकृति से जुड़ाव का महीना है। इस मास में हर सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है, जिसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मंदिर जाते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध व बेलपत्र अर्पित करते हैं, ताकि उन्हें सुख, शांति व मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त हो।

बेलपत्र, दूध और जल का महत्व क्या है?

हर पूजा-पद्धति का एक गहरा अर्थ होता है

बेलपत्र: भगवान शिव को अति प्रिय trifoliate पत्ते, जो उनके त्रिशूल का प्रतीक माने जाते हैं। यह पवित्रता, समर्पण और सादगी का प्रतीक है।

दूध से अभिषेक: शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से उनकी उग्र ऊर्जा को शांत करने की भावना है। साथ ही यह आरोग्य, समृद्धि और आत्म-शुद्धि का संकेत है।

जल अर्पण: पवित्र नदियों से लाया गया जल शिवलिंग पर चढ़ाना नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और कर्मशुद्धि का माध्यम माना जाता है।

सोमवार और व्रत का विशेष महत्व क्यों है?

सावन में उपवास करना आत्मनियंत्रण का अभ्यास है। विशेष रूप से सोमवार का दिन चंद्रमा (सोम) को समर्पित होता है, जो मन का स्वामी माना जाता है। शिव की पूजा मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है।

महिलाएं पति की दीर्घायु और अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु व्रत रखती हैं, वहीं पुरुष आत्मिक शक्ति व ज्ञान की प्राप्ति के लिए उपवास करते हैं।

सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण

सावन का एक और पहलू पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। इस दौरान कई स्थानों पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण और नदी स्वच्छता जैसे कार्य होते हैं। यह प्राचीन परंपराओं और आधुनिक जिम्मेदारियों के बीच सेतु का कार्य करता है।

निष्कर्ष

सावन केवल परंपरा नहीं, संवेदनशील जुड़ाव का महीना है। शिव की पूजा के माध्यम से हम अपने भीतर के नकारात्मकता को समाप्त कर सकारात्मकता और ऊर्जा के साथ जीवन में आगे बढ़ने का संदेश प्राप्त करते हैं। यह एक ऐसा समय है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने का अवसर देता है।इस आधुनिक समय में भी, सावन हमें सिखाता है कि “आध्यात्मिकता केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है।”

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