सोशल संवाद/ डेस्क: झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का राजनीति का जीवन भी काफी दिलचस्प रहा है, 44 साल तक वें राजनीति में रहे। उन्होने ग्राम प्रधान से कैबिनेट मंत्री तक का सफर किया। पूरे राजनीतिक जीवन में उनकी पहचान राजनेता के रूप में कम, आंदोलनकारी और समाजसेवी के रूप में ज्यादा रही, 4 दशक से अधिक लंबे समय से राजनीति में रहे, 62 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

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शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन कभी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ गये थे. 35 हजार वोट लाकर उन्होंने साबित कर दिया था कि उनमें विधायक बनने का माद्दा है. बात वर्ष 2005 की है. झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन था. घाटशिला सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी. रामदास चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिला. झामुमो जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर वह निर्दलीय चुनाव लड़ गये थे. इसके बाद 3 बार विधायक बने.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के बड़े नेता रामदास सोरेन सरल, सहज और सामाजिक व्यक्ति थे. 1980 में झामुमो से जुड़े. अपने 44 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने ग्राम प्रधान से कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय किया. उनका राजनीतिक जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा. स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2025 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
- रामदास सोरेन पहली बार ढाई माह के लिए मंत्री बने थे, दूसरी बार बने कैबिनेट मंत्री
- सहजता, सरलता और सामाजिक सरोकार से आम से खास तक सभी के चहेते बने
रामदास सोरेन ने एक राजनेता से कहीं ज्यादा समाजसेवी और आंदोलनकारी के रूप में अपनी छवि बनायी थी. झारखंड आंदोलन के दौरान शिबू सोरेन, चंपाई सोरेन, सुनील महतो, सुधीर महतो, अर्जुन मुंडा के साथ उन्होंने काफी संघर्ष किया. उनके नाम का बॉडी वारंट तक निकाला गया था.








