सोशल संवाद/डेस्क : हिंदी सिनेमा की दिग्गज एक्ट्रेस संध्या शांताराम का 94 साल की उम्र में निधन हो गया है।
वे 1950 के दशक में हिंदी फिल्मों का एक बड़ा नाम थीं और अपनी अदाकारी, नृत्य और एक्सप्रेशन्स से दर्शकों के दिलों पर राज करती थीं।

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उनका अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क स्थित वैकुंट धाम में किया गया।हालांकि, उनकी मौत का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह उम्र से जुड़ी बीमारियों और कमजोरी से जूझ रही थीं।
फिल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वालों के लिए यह एक बड़ा झटका है।
कौन थीं संध्या शांताराम?
संध्या शांताराम का असली नाम विजया देशमुख था।
उनका जन्म 1931 में नागपुर में हुआ था।
संध्या ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1950 के दशक में की और जल्द ही वे निर्देशक वी. शांताराम की पसंदीदा अभिनेत्री बन गईं।
बाद में उन्होंने उनसे विवाह किया और कई फिल्मों में उनके साथ काम किया।
उनकी प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं —
- नवरंग (1959)
- जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली (1971)
- दो आंखें बारह हाथ (1957)
- गीत गाया पत्थरों ने (1964)
- ‘अरे जा रे हट नटखट’ बना उनकी पहचान
1959 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘नवरंग’ का सुपरहिट गाना ‘अरे जा रे हट नटखट’ आज भी लोगों की जुबां पर है।
आशा भोंसले की आवाज़ और संगीतकार सी. रामचंद्र की धुनों पर फिल्माए इस गीत में
संध्या शांताराम ने अपनी अदाकारी और एक्सप्रेशन्स से जान डाल दी थी।

इस गाने में उनका नाचना, असली हाथियों और घोड़ों के बीच परफॉर्म करना और बेफिक्री से कैमरे के सामने एक्सप्रेशन देना —
उन्हें एक “निडर कलाकार” बनाता है।
उन्होंने इस गाने की कोरियोग्राफी भी खुद की थी, जो उस दौर के हिसाब से बेहद साहसी कदम माना जाता है।
करियर और सम्मान
संध्या शांताराम को उनकी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया था।
उनकी फिल्मों की खासियत थी — भारतीय संस्कृति, कला और स्त्री सशक्तिकरण का सुंदर मिश्रण।
फिल्म ‘दो आंखें बारह हाथ’ में उन्होंने एक गहरी और भावनात्मक भूमिका निभाई थी,
जिसे आज भी भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम अध्यायों में गिना जाता है।

बढ़ती उम्र और एकांत का दौर
संध्या शांताराम ने अपने आखिरी वर्षों में फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली थी।
वो ज्यादा पब्लिक अपीयरेंस नहीं देती थीं और अपना समय परिवार और धार्मिक कार्यों में बिताती थीं।
करीबी सूत्रों के अनुसार, वे बीते कुछ महीनों से बीमार थीं और उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था।
उनकी मौत की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर फैंस ने भावुक पोस्ट शेयर किए।
कई फिल्मी हस्तियों ने भी उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी।
उनका सिनेमा में योगदान क्यों रहेगा यादगार
संध्या शांताराम सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि एक कलात्मक संस्था थीं।
उनकी फिल्मों में रंग, नृत्य, संगीत और भावनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
उन्होंने साबित किया कि भारतीय नारी सौंदर्य सिर्फ लुक्स में नहीं, बल्कि उसकी अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास में बसता है।
उनकी हर फिल्म एक नई सौंदर्य दृष्टि लेकर आई —
कभी नारी की कोमलता दिखाती, तो कभी उसकी ताकत और स्वतंत्रता।
उनका यह योगदान हिंदी सिनेमा को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
बॉलीवुड ने दी श्रद्धांजलि
फिल्म इंडस्ट्री के कई कलाकारों और निर्देशकों ने सोशल मीडिया पर संध्या शांताराम को श्रद्धांजलि दी।
एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने लिखा,
“संध्या जी एक सच्ची कलाकार थीं — समर्पण और गरिमा का प्रतीक। उनका जाना एक युग का अंत है।”
संगीतकार आनंदजी ने कहा,
“‘अरे जा रे हट नटखट’ जैसे गाने आज भी हमें सिनेमा के सुनहरे दिनों में ले जाते हैं। संध्या जी अमर रहेंगी।”
FAQ — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. संध्या शांताराम कौन थीं?
संध्या शांताराम 1950s और 60s की प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेत्री थीं,
जो निर्देशक वी. शांताराम की पत्नी भी थीं।
Q2. उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म कौन सी है?
उनकी सबसे मशहूर फिल्म ‘नवरंग’ (1959) है, जिसमें उनका गाना ‘अरे जा रे हट नटखट’ आज भी लोकप्रिय है।
Q3. उनका निधन कब और कहाँ हुआ?
संध्या शांताराम का निधन 4 अक्टूबर 2025 को मुंबई में हुआ।
Q4. उनकी उम्र कितनी थी?
निधन के समय वे 94 वर्ष की थीं।
Q5. उनके निधन का कारण क्या है?
आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि उनकी तबीयत लंबे समय से खराब थी।








