सोशल संवाद/डेस्क : चारो तरफ चुनाव की चर्चा जोरो पर है. हर राज्य चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है. चुनाव में वोट देने के आलम काफी पुराने समय से चलते आ रहा है. इसी बीच आज हम आपको चुनाव से जुड़ी एक ऐसी खबर के बारे में बताने जा रहे है. जहां चुनाव की स्याही का रंग भगवा है. दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां चुनावों में चुनावी स्याही का रंग भगवा है. इस देश का हिंदू धर्म से एक खास कनेक्शन भी है. वैसे हम आपको बता दें कि दुनिया में 90 से ज्यादा चुनावी स्याही का इस्तेमाल करते हैं.
वैसे तो दुनियाभर में जहां कहीं चुनाव होते हैं वहां बैंगनी रंग की चुनावी स्याही का ही इस्तेमाल होता है लेकिन कई देशों में नीले आसमानी रंग और काले रंग का भी इस्तेमाल होता है. लेकिन दुनिया के एक देश इससे हटकर चुनावों के दौरान मतदाताओं की अंगुली पर भगवा रंग लगाने का प्रयोग हुआ, जो आज भी जारी है.
वैसे आपको बता दें कि चुनावी स्याही भारत से ही इन देशों में जाती है, इसे मैसूर की एक फैक्ट्री बनाती हैं. हालांकि अब जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों से भी ये स्याही चुनाव के लिए कई देशों में भेजी जाती है.दुनिया में सबसे पहले ये अमिट स्याही भारत में ही बनाई गई. हालांकि कहा जाता है कि इसे एक कोलंबियाई केमिस्ट ने भारत में बनाया था.स्याही का विकास राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) द्वारा किया गया था. बाद में विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) – राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) ने स्याही का पेटेंट कराया और इसे उत्पादन के लिए मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (एमपीवीएल) को लाइसेंस दिया. स्याही ने 1962 के आम चुनावों के दौरान भारत की चुनावी प्रक्रिया में अपनी शुरुआत की. इसका इस्तेमाल बताते हैं कि कर्नाटक के स्थानीय चुनावों में इस्तेमाल किया गया.
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