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आप” नेता लगातार दिल्ली में  भाजपा के विरूद्ध झूठा राजनीतिक विमर्श बनाने में लगे हैं पर सफल नहीं होंगे -वीरेन्द्र सचदेवा

By Riya Kumari

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Virendra Sachdeva

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सोशल संवाद /नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज एवं सुश्री आतिशी मार्लेना सोशल मीडिया से भ्रम एवं असंतोष फैलाने में, जब सत्ता में थे तो अपने सफलता के झूठे दावे फैलाने के लिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों का इस्तमाल करते थे और अब जब विपक्ष में हैं तो वर्तमान भाजपा सरकार को बदनाम एवं कमज़ोर करने के लिए सोशल मीडिया माध्यमों के साथ मीडिया के वर्ग विशेष का भी दुरुपयोग कर रहे हैं।

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दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि केजरीवाल के दावों के ठीक विपरीत सच यह है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों की फीस लगातार बढ़ती रही है । दिल्ली में 1650 से अधिक निजी स्कूल हैं पर केजरीवाल सरकार एक वर्ष में मात्र 75 स्कूल के खाते ऑडिट कराती रही जिसका लाभ उठाकर लगभग सभी निजी स्कूल जम कर फीस बढ़ाते रहे हैं।डी.पी.एस द्वारका में जिस फीस वृद्धि पर आज अभिवावक अशांत हैं वहां वृद्धि 2023 से ही विवादित है।”आप” नेता लगातार दिल्ली में  भाजपा के विरूद्ध झूठा राजनीतिक विमर्श बनाने में लगे हैं। महिला समृद्धि योजना, आयुष्मान भारत, बिजली कटौती हर मुद्दे पर जब उनका कुप्रचार विफल रहा तो अब स्कूल फीस मुद्दे पर राजनीतिक विमर्श बनाने में लगे हैं पर सफल नहीं होंगे।

आज जब गुप्ता सरकार ने प्राइवेट सकूलों के फीस बढ़ाने को सख्ती से रोका है, सभी 1650 से अधिक प्राइवेट स्कूलों का आडिट का आदेश किया है और इन स्कूलों की  फीस वृद्धि रोक दी है तो “आप” नेतृत्व मीडिया के एक वर्ग विशेष के सहयोग से भ्रम फैलाने में लगे हैं।दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि भाजपा सरकार दिल्ली के किसी स्कूल को बिना ऑडिट करवाये फीस नहीं बढ़ाने देगी और फीस में वृद्धि केवल सकूल को नुकसान से उबारने जितनी ही हो सकेगी।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने अरविंद केजरीवाल से कहा है कि वह जनता को बतायें कि उनकी सरकार के दौरान फीस वृद्धि को लेकर जो भी मामले न्यायालय में जाते थे उसमें से लगभग सभी में फैसला स्कूल के पक्ष में ही क्यों आता था। क्या कोई सांठगांठ होती थी ? वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है की अरविंद केजरीवाल की चिंता स्कूल फीस बढ़ना नही है असल में उनकी चिंता है उनके शासनकाल में दिल्ली के स्कूलों में नियुक्त एस.एम.सी. सदस्यों द्वारा की गई आर्थिक वसूली की खुलती पोल की और उससे ध्यान भटकाने के लिए आज वह फीस वृद्धि को मुद्दा बना रहे है।

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