सोशल संवाद/डेस्क: Assam के मशहूर गायक जुबिन गर्ग, जिन्होंने बॉलीवुड फिल्म गैंगस्टर में “या अली” जैसे सुपरहिट गीत से अमिट छाप छोड़ी थी, अब हमारे बीच नहीं रहे। भारतीय संगीत जगत के लिए ये गहरा सदमा है। असम के इस दिग्गज कलाकार का निधन सिंगापुर में हुआ, जहां वे स्कूबा डाइविंग के दौरान एक हादसे का शिकार हो गए।
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हादसे की पूरी घटना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, गर्ग को समुद्र से निकाला गया और नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इंटेंसिव मेडिकल केयर के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। वे सिंगापुर नॉर्थ ईस्ट फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिए गए थे और कार्यक्रम से पहले ही यह दुखद घटना घटी।
Assam के नेताओं और प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएँ
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है। दोनों नेताओं ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि जुबिन का जाना न केवल असम, बल्कि पूरे देश की संगीत परंपरा के लिए अपूरणीय क्षति है।
जुबिन गर्ग सिर्फ हिंदी फिल्मों तक सीमित नहीं थे। उन्होंने असमी, बंगाली और हिंदी के अलावा 40 से अधिक भाषाओं में गाने गाए। इनमें कन्नड़, नेपाली, ओड़िया, सिंधी, संस्कृत, खासी, मणिपुरी और अंग्रेज़ी शामिल हैं।
Assam में बचपन और परिवार की पृष्ठभूमि
मेघालय के तुरा में एक असमी ब्राह्मण परिवार में जन्मे जुबिन का नाम महान संगीतकार जुबिन मेहता से प्रेरित था। उनके पिता मोहिनी बोरठकुर मजिस्ट्रेट थे और मां ईली बोरठकुर खुद गायिका थीं। उनकी बहन जोगकी बोरठकुर भी अभिनेत्री थीं, लेकिन 2002 में एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया। इसी साल जुबिन ने फैशन डिजाइनर गरिमा सैकिया से विवाह किया था।
संगीत की दुनिया में उन्होंने 1992 में कदम रखा। उसी साल उन्हें वेस्टर्न सोलो परफॉर्मेंस के लिए गोल्ड मेडल मिला और उनकी पहली असमी एल्बम अनामिका रिलीज़ हुई। मुंबई शिफ्ट होने के बाद उन्होंने ‘चांदनी रात’ एल्बम से इंडीपॉप में शुरुआत की और धीरे-धीरे बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई। उन्होंने चंदा, गद्दार, दिल से, डोली सजा के रखना, फिजा, कांटे और जाल जैसी फिल्मों में भी अपनी आवाज़ दी।
असली शोहरत उन्हें 2006 में मिली, जब गैंगस्टर फिल्म का गीत या अली चार्टबस्टर साबित हुआ। इसके लिए उन्हें ग्लोबल इंडिया फिल्म अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक का सम्मान भी मिला। उनकी दूसरी हिंदी एल्बम जिंदगी भी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।
गायन के अलावा जुबिन सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे और कई बार विवादों में भी सुर्खियों में आए। फिर भी उनका संगीत और उनकी आवाज़ हमेशा लोगों के दिलों में बसी रहेगी। आज जब जुबिन गर्ग हमारे बीच नहीं हैं, उनका जाना न सिर्फ असम, बल्कि पूरे भारत की संगीत इंडस्ट्री के लिए एक गहरा खालीपन छोड़ गया है। फैंस सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और उनकी यादों को संजो रहे हैं।








