सोशल संवाद डेस्क: हर साल पूरे हर्षोल्लास के साथ अप्रैल के महीने में बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं। गुरुद्वारों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन कराए जाते हैं। बैसाखी मनाने के पीछे धार्मिक व ऐतिहासिक कारण जुड़ा है।
यह त्योहार कृषि से जुड़ा है। इसे रबी की फसल पकने के मौके पर मनाते हैं। इस दिन किसान अपने फसलों की कटाई कर शाम के समय में आग जलाकर उसके चारों ओर इकट्ठे होते हैं। बैशाखी के दिन से ही देश के कई हिस्सों में फसलों की कटाई शुरु होती है। ऐतिहासिक कारण यह है कि इस दिन सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।कहा जाता है कि बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस महीने को बैसाखी कहा जाता है।
बैसाखी के त्योहार का महत्व-
बैसाखी के दिन ही सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ की स्थापना धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई के लिए की गई थी।असम में बैसाखी को बीहू जबकि बंगाल में पोइला बैसाख के तौर पर मनाया जाता है। तमिलनाडू में पुथांडू, केरल में पूरन विशु और बिहार व नेपाल में सत्तू संक्रांति के रूप में।