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वाराणसी का भारत माता मंदिर , यहाँ होती है भारत के मानचित्र की आराधना

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सोशल संवाद /डेस्क (रिपोर्ट : तमिश्री )-  काशी में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जिसे जानने और समझने के साथ दर्शन-पूजन के लिए देश के कोने-कोने से पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। लेकिन आज हम आपको उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो घाटों और मंदिरों के इस नगरी का शानदार नगीना है। इकलौता मंदिर जहां किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि अखंड भारत के मानचित्र की आराधना होती है। देवधरा काशी अपने मंदिरों के लिए पूरे विश्व में विख्यात है। घाटों और मंदिरों के इस नगरी का शानदार नगीना है भारत माता मंदिर। यह इकलौता मंदिर है जहां किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि अखंड भारत की मूरत की आराधना होती है।

यहां अखंड भारत का मानचित्र है, जब सीमाएं पाकिस्तान पार अफगानिस्तान और पूरब में पश्चिम बंगाल के आगे फैली हुई थी। सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें पहाड़ों, नदियों को थ्री डी की मानिंद उकेरा गया है जो बेहद आकर्षक है।  भारत मां का ये मंदिर देश ही नहीं विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करता है।  महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का एक अनूठा हिस्सा है भारत माता मंदिर। इसका उद्घाटन स्वयं  महात्मा गांधी ने किया था। इस मंदिर का अनूठा शिल्प बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने तैयार किया, वो भी गणितीय सूत्रों के आधार पर। दुर्गा प्रसाद खत्री की देखरेख में 25 शिल्पकारों और 30 मजदूरों ने इस मंदिर को छह साल के लंबे अरसे के बाद साकार किया। इनके नाम भी इस मंदिर के एक कोने में लिखे हुए हैं। इसका उद्घाटन बापू ने 25 अक्तूबर 1936 में किया ।

गुलाबी पत्थरों से बने इस मंदिर में संगमरमर पर तराशा गया अखंड भारत का नक्शा ही इसकी खासियत है। मकराना संगमरमर पर अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका इसका हिस्सा है। यही नहीं 450 पर्वत शृंखलाएं व चोटियां, मैदान, पठार, जलाशय, नदियां, महासागर सब इनकी ऊंचाई और गहराई के साथ अंकित है। इसकी धरातल भूमि एक इंच में 2000 फीट दिखाई गई है। भूचित्र की लंबाई 32 फीट दो इंच और चौड़ाई 30 फीट दो इंच है। इसे 762 चौकोर खानों में बांटा गया है।  इस अनोखे मंदिर के गेट पर ही भारतीय संस्कृति और देश प्रेम की झलक देखने को मिलती है। जब हम मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचते है तो सबसे पहले भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ लिखा दिखता है। भारत माता मंदिर में राष्ट्र कवि मैथलीशरण गुप्त ने एक कविता भी लिखी थी जो मंदिर में अभी भी नजर आती है। इस कविता का सार देशवाशियों को एकता के धागे में पिरोना है।

वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से बीएचयू मार्ग पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर के दक्षिणी छोर पर गुलाबी पत्थरों से निर्मित मंदिर के चमकते स्तंभ पहली नजर में कदम रोक लेते हैं। दो मंजिले मंदिर के गर्भगृह में कुंडाकार प्लेटफार्म पर उकेरा गया भारत भूमि का विशाल संगमरमरी मानचित्र ही यहां ईष्ट है।हर साल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर इस नक्शे में दिखाए गए जलाशयों में पानी भरा जाता है और मैदानी इलाकों को फूलों से सजाया जाता है।

गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस मंदिर की गेंदा के फूलों से सजावट की जाती है। यही नहीं मानचित्र में बने नदियों व झरने में पानी भी भरा जाता है जो देखते में काफी आकर्षक लगता है। यह मंदिर भारत के निर्माण में भाग लेने वाले सभी लोगों के लिए एक प्रकार की प्रशंसा है क्योंकि इसका निर्माण भारत के विभाजन से पहले किया गया था। मंदिर सुबह 9.30 बजे खुलता है और शाम को 8.00 बजे बंद हो जाता है। आप किसी भी मौसम में यहां आ सकते हैं। भारत माता मंदिर बी.एच.यू. से 8 किमी की दूरी पर, कैंट वाराणसी से 2 किमी की दूरी पर और गोदौलिया से 3 किमी पश्चिम में स्थित है। आप वाराणसी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो रिक्शा लेकर आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं ।

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