सोशल संवाद / जमशेदपुर : सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ शुरु हो चुका है. चार दिवसीय इस पवित्र कष्टदायिनी पर्व के दूसरे दिन 13 अप्रैल, शनिवार को खरना का आयोजन किया गया. खरना चैत्र शुक्ल पंचमी को होता है. इस दौरान खरना के प्रसाद के लिए मिट्टी का चुल्हा बनाया. साक्षात देवता सूर्य व छठी मईया पर अटुट आस्था रखने वाले व्रतियों ने शाम होते-होते स्नानादि कर खरना के प्रसाद के लिए तैयारियां शुरु कर दी. घर-घर में बज रहे छठ गीत के बीच पूजा की तैयारी की जा रही थी. शाम को व्रतियों ने प्रसाद के लिए रोटी व अरवा चावल व गुड़ का रसिआव (खीर) बनाकर भगवान भाष्कर व छठ मईया को अर्पित किया गया. शुभ मुहुर्त के अनुसार अगरबत्ती दिखाकर भगवान से इस कठिन पर्व को पार लगाने की कामना की गयी. इसके बाद बंधु-बांधवों के बीच प्रसाद बांटा. प्रसाद ग्रहण करने से पहले व्रतियों ने पूरे परिवार के सुख-समृद्धि तथा मनोकामनाएं पूरी करने की कामना की. इधर मौसम में करवट लेने ओलावृष्टि व तेज आंधी तूफान से व्रतियों को राहत मिलेगी. मौसम कल भी ऐसा ही बना रहेगा.
व्रतियों के घर पहुंच ग्रहण कर रहे खरना प्रसाद
मान्यता के अनुसार छठ के खरना का प्रसाद काफी उत्तम माना जाता है. यह फलदायी होता है. सभी कष्टों के हरने तथा मनोकामना पूर्ण होने की भावना उसमें निहित होती है. इसलिए खरना का प्रसाद ग्रहण करने के लिए बुलाये गये तथा बिन बुलाये लोग भी व्रतियों के घर पहुंचते हंै.
घाटों में रहेगी रौनक
चैती छठ को लेकर शहर के प्राय: सभी नदी घाट तैयार हैं. स्वर्णरेखा नदी, दोमुहानी, सीटु तालाब, हुडको झील, बड़ौदा घाट समेत अन्य छोटे बड़े घाटों पर इस बार व्रती घाटों पर भगवान भाष्कर को अघ्र्य दे सकेंगे. 14 अप्रैल, सोमवार शाम डूबते सूर्य को पहला अघ्र्य तथा सोमवार सुबह उदीयमान सूर्य को दूसरा अघ्र्य दिया जाएगा.
अर्घ्य का समय
रविवार : सूर्यास्त शाम 6.06
सोमवार : सूर्योदय सुबह 5.25
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