सोशल संवाद/डेस्क : पूर्व CJI संजीव खन्ना ने इनहाउस रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस यशवंत वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था। इसके लिए राजी ने होने पर CJI खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों ने हवाले से यह जानकारी दी है।
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इससे पहले ANI ने बताया था कि केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव ला सकती है। कानूनी जानकारों के मुताबिक अगर वे इस्तीफा देते हैं तो उन्हें रिटायर्ड जज की तरह पेंशन और अन्य लाभ मिलेंगे। संसद में प्रस्ताव लाकर हटाए जाने पर पेंशन वगैरह कुछ नहीं मिलेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में 14 मार्च को आग लग गई थी। आग बुझाने पहुंची फायर सर्विस टीम को बोरियों में भरे 500-500 रुपए के अधजले नोट मिले थे। मामला बढ़ने पर उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि, उन्हें कोई भी न्यायिक काम नहीं दिया जा रहा है।
संसद में मौखिक इस्तीफा भी दिया जा सकता है
कानूनी जानकार बताते हैं कि जस्टिस वर्मा संसद के किसी भी सदन में सांसदों के सामने अपना पक्ष रखते हुए पद छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं। उनके मौखिक बयान को ही इस्तीफा मान लिया जाएगा।
संविधान के अनुच्छेद 217 के अनुसार, हाईकोर्ट का जज राष्ट्रपति को अपना साइन किया त्यागपत्र दे सकते हैं। जज के इस्तीफे के लिए किसी अनुमोदन जरूरत नहीं होती। जज अपनी चिट्ठी में पद छोड़ने की तारीख भी लिख सकते हैं। ऐसे मामले में वे उस तारीख से पहले इस्तीफा वापस भी ले सकते हैं।