सोशल संवाद/डेस्क : रणवीर सिंह की बहुप्रतीक्षित फिल्म धुरंधर का ट्रेलर रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है। जहां एक ओर ट्रेलर को दर्शकों से जबरदस्त उत्साह मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रसिद्ध यूट्यूबर, इन्फ्लूएंसर और राजनीतिक विश्लेषक ध्रुव राठी ने फिल्म की तीखी आलोचना कर दी। उनके बयान ने सिर्फ विवाद ही नहीं पैदा किया, बल्कि एक्टर रणवीर शोरे के साथ खुली बहस का रूप ले लिया। यह विवाद धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर हिंसा, सेंसरशिप और सिनेमाई स्वतंत्रता को लेकर बड़ी बहस में बदल गया है।

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ध्रुव राठी ने ट्रेलर को बताया “घटियापन की हद”
ट्रेलर रिलीज के कुछ ही घंटे बाद ध्रुव राठी ने अपने ऑफिशियल X (ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि डायरेक्टर आदित्य धर ने “बॉलीवुड में घटियापन की सभी सीमाएं पार कर दी हैं।”
उन्होंने दावा किया कि फिल्म में दिखाई गई हिंसा और क्रूरता का स्तर इतना ज्यादा है कि इसे मनोरंजन कहना वैसा ही है, जैसा “ISIS की सिर काटने वाली वीडियो देखकर मनोरंजन कहना।”
राठी के अनुसार, ऐसी फिल्मों का लगातार बनना नई पीढ़ी पर गहरा और खतरनाक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पैसा कमाने की लालसा में फिल्म निर्माता युवाओं के भीतर क्रूरता और हिंसा को सामान्य बना रहे हैं।
राठी ने सेंसर बोर्ड पर तंज कसते हुए कहा कि यही सही समय है यह साबित करने का कि “उन्हें किस बात से अधिक समस्या है पर्दे पर किसिंग सीन्स से या इंसानों को जिंदा चमड़ी उधेड़ते दिखाने से।”
पुरानी पोस्ट का हवाला देकर लोगों ने उठाए सवाल
ध्रुव राठी की इस आलोचना के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी पुरानी पोस्ट का स्क्रीनशॉट साझा करना शुरू कर दिया, जिसमें उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी हिंसक फिल्म को “भारत की सबसे जरूरी फिल्म” कहा था।
इस पर राठी ने स्पष्टीकरण देते हुए स्वीकार किया कि वह पहले गलत थे। उन्होंने कहा, “मैं समझ नहीं पाता था कि फिल्में समाज के मनोविज्ञान पर कितना गहरा असर डालती हैं। अब इस बात को गंभीरता से समझता हूँ।”
रणवीर शोरे का पलटवार: “तुम ज्यादातर वक्त गलत ही होते हो”
ध्रुव राठी की पोस्ट पर अभिनेता रणवीर शोरे सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल रहे। शोरे ने तंज भरे अंदाज़ में लिखा,
“दोस्त, तुम ज्यादातर वक्त गलत ही होते हो, लेकिन कमाल है कि तुमने उसी को करियर बना लिया है।”
शोरे के इस व्यंग्य के बाद सोशल मीडिया पर बहस का नया दौर शुरू हो गया। ध्रुव राठी ने तुरंत जवाब देते हुए कहा,
“उस करियर से तो बेहतर है, जहां रोजी-रोटी के लिए बिग बॉस में नकली झगड़े करने पड़ें।”
रणवीर शोरे फिर भड़के “बिग बॉस झगड़े नकली नहीं, जितने तुम हो”
राठी के जवाब से शोरे और भड़क गए और उन्होंने लिखा,
“बिग बॉस हाउस के झगड़े उतने नकली नहीं होते जितने तुम हो, दोस्त। लगे रहो।”
शोरे की प्रतिक्रिया के बाद दोनों तरफ के समर्थक सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए। कई फॉलोअर्स ने रणवीर शोरे से आग्रह किया कि वे इस विवाद से दूर रहें। इस पर शोरे ने एक और पोस्ट करते हुए लिखा कि वे इस बहस में नहीं पड़ते,
“पर जब कोई यूरोप में बैठकर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करने की कोशिश करता है, तो चुप नहीं रहा जा सकता। उसका बकवास प्रोपेगैंडा अब बहुत हो चुका है।”
फिल्म ‘धुरंधर’ को लेकर बढ़ती बहस
धुरंधर के ट्रेलर में रणवीर सिंह के हिंसक, उग्र और खून से सने किरदार को दिखाया गया है। फिल्म को लेकर दर्शकों में पहले से ही उत्सुकता थी, और अब इस विवाद ने इसे और अधिक चर्चा में ला दिया है।एक तरफ फिल्म समर्थकों का कहना है कि कहानी कहने की स्वतंत्रता और क्रिएटिव आज़ादी कलाकारों का मूल अधिकार है। दूसरी ओर आलोचकों का तर्क है कि मनोरंजन के नाम पर अत्यधिक हिंसा को सुंदर या स्टाइलिश दिखाना समाज को गलत दिशा में ले जा सकता है।
सेंसर बोर्ड पर भी तकरार की आंच
ध्रुव राठी ने जिस तरह सेंसर बोर्ड पर निशाना साधा है, उससे यह मुद्दा अब बोर्ड की नीति और निर्णयों की तरफ भी मुड़ गया है। पिछले कुछ समय में कई फिल्मों पर सेंसर बोर्ड की सख्ती और ढील दोनों की आलोचना होती रही है।
राठी के समर्थकों का कहना है कि सेंसर बोर्ड को हिंसा पर सख्त रुख अपनाना चाहिए, जबकि शोरे के समर्थकों का तर्क है कि फिल्मों का उद्देश्य मनोरंजन और कहानी कहना होता है, न कि अपराध सिखाना।
सोशल मीडिया पर दो धड़ों में बंटे दर्शक
इस पूरे विवाद ने इंटरनेट पर दो स्पष्ट धड़े बना दिए हैं एक तरफ वे लोग हैं जो ध्रुव राठी को सही मानते हुए कहते हैं कि फिल्में समाज को प्रभावित करती हैं और निर्माताओं को जिम्मेदारी से कंटेंट बनाना चाहिए।दूसरी ओर वे लोग हैं जो इस आलोचना को “अति-प्रतिक्रिया” मानते हैं और कहते हैं कि फिल्में सिर्फ एक क्रिएटिव माध्यम हैं, जिन्हें वास्तविकता से जोड़कर देखना सही नहीं।
विवाद ने फिल्म की चर्चा और भी बढ़ाई
धुरंधर के ट्रेलर को लेकर जितनी तीखी बहस हो रही है, उससे साफ है कि फिल्म को लेकर उत्सुकता और विवाद दोनों लंबे समय तक जारी रहने वाले हैं।कई ट्रेड विश्लेषक मानते हैं कि इस विवाद से फिल्म को चर्चा का अतिरिक्त लाभ मिल सकता है, जो इसके बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर सकारात्मक असर डाल सकता है।








