सोशल संवाद / रांची: झारखंड में वक्फ संपत्तियों से जुड़ा एक अहम अपडेट सामने आया है। राज्य में वक्फ की कुल संपत्तियों में से करीब 67 प्रतिशत का विवरण अब केंद्र सरकार के ‘उम्मीद पोर्टल’ पर अपलोड कर दिया गया है। केंद्र द्वारा तय की गई अंतिम समयसीमा 6 दिसंबर की रात 11 बजकर 59 मिनट तक थी, लेकिन इस निर्धारित समय तक सभी संपत्तियों का डेटा अपलोड नहीं हो सका।

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड में वक्फ (Waqf) की कुल 159 संपत्तियां दर्ज हैं। इनमें से 108 संपत्तियों का ही ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड किया जा सका है। इसका मतलब यह हुआ कि अब भी 51 वक्फ संपत्तियां ऐसी हैं, जिनका विवरण ऑनलाइन दर्ज नहीं हो पाया है। यह स्थिति प्रशासन और वक्फ बोर्ड दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है।
वक्फ (Waqf) बोर्ड से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, राज्य में मौजूद 159 संपत्तियों में से 151 संपत्तियां झारखंड सुन्नी वक्फ (Waqf) बोर्ड के अधीन हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास कुल 8 संपत्तियां दर्ज हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड की 151 में से सिर्फ 101 संपत्तियों का ही रिकॉर्ड पोर्टल पर अपलोड किया जा सका। वहीं शिया वक्फ बोर्ड की 8 में से 7 संपत्तियों का ही विवरण अब तक दर्ज हो पाया है।
इसका मतलब यह है कि जो 51 संपत्तियां अब भी अपलोड नहीं हो सकीं, उनमें से 50 सुन्नी वक्फ बोर्ड से और 1 शिया वक्फ (Waqf) बोर्ड से जुड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि शिया वक्फ (Waqf) बोर्ड की जो एक संपत्ति अब तक पोर्टल पर दर्ज नहीं हो पाई है, वह ‘हिडन वक्फ’ की श्रेणी में आती है, यानी उसका अलग से भौतिक सत्यापन और दस्तावेज़ी प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो सकी है।
उम्मीद पोर्टल पर वक्फ (Waqf) संपत्तियों को दर्ज करने की प्रक्रिया का मकसद देशभर में वक्फ (Waqf) संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और अवैध कब्जों पर रोक लगाई जा सके। केंद्र सरकार ने इसके लिए सभी राज्यों को एक तय समयसीमा दी थी, लेकिन झारखंड में यह काम अभी अधूरा ही रह गया।
इधर, वक्फ (Waqf) से जुड़े जानकारों का कहना है कि कई संपत्तियों के दस्तावेज पुराने हैं या विवादों में फंसे होने की वजह से उनका सत्यापन समय पर पूरा नहीं हो पाया। कुछ मामलों में जमीन से जुड़े रिकॉर्ड, सीमांकन और कागजी प्रक्रिया में भी दिक्कतें सामने आईं, जिससे अपलोडिंग का काम प्रभावित हुआ।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जो 51 संपत्तियां अब भी अपलोड नहीं हो सकीं हैं, उन्हें जल्द से जल्द पोर्टल पर दर्ज करने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए विशेष टीम बनाकर दोबारा सत्यापन और दस्तावेज तैयार करने की प्रक्रिया तेज की जा सकती है।
कुल मिलाकर, झारखंड में वक्फ संपत्तियों के डिजिटल रिकॉर्ड की दिशा में यह एक बड़ा कदम जरूर है, लेकिन अभी भी लगभग एक-तिहाई संपत्तियों का डेटा अपलोड होना बाकी है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और वक्फ बोर्ड इस अधूरे काम को कितनी जल्दी पूरा करते हैं।








