सोशल संवाद/डेस्क : हमारा देश इतना आगे बढ़ रहा है लेकिन आज भी ऐसा जगह है जहा वो सुविधाए लोगो तक नहीं पहुंची है आजादी के बाद एक ऐसा गावं जहा ना पानी है बिजली है यहाँ तक की बच्चो के लिए पढाई की कोई सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. झारखण्ड के जादूगोड़ा का पांडूडीह गांव आजादी के 76 साल बाद भी विकास से कोसों दूर है.
चुनाव के वक्त ही उनके कार्यकर्ता वोट मांगने आते है. चुनाव के बाद कार्यकर्ता भी इस गांव रास्ता भूल जाते है, जिसकी वजह से 45 सालों बाद भी यह गांव बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रही है. गांव के ग्रामीण जितेन सरदार, मुक्ता हेंब्रम व कृष्णा हो कहते है कि बिजली के अभाव में आदिवासी बहुल इस गांव के नौनिहाल आज भी ढिबरी युग में जीने को विवश है.
बच्चे लालटेन में पढ़ाई करते है. जादूगोड़ा यूसिल कॉलोनी से सटे पांडूडीह गांव पहाड़ी की तलहटी पर बसा है. सरकार ने यहां बसे 25 आदिवासी परिवारों को आज तक वन पट्टा तक नहीं दिया है, जिसकी वजह से क्षेत्र के आदिवासी अबुआ आवास, पेंशन, पानी जैसी बुनियादी जरूरतों से जूझ रहे है. बहर हाल देखना यह है कि बदहाल जिंदगी जी रहे पांडुडीह गांव में 25 आदिवासी परिवारों पर जनप्रतिनिधियों को नजर पड़ती है कब पड़ती है व विकास की किरण कब पहुंच पाती है यह गौर करने वाली बात होगी.
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