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झारखंड में हो सकती महंगी  बिजली, जेबीवीएनएल के नए टैरिफ पर बड़ा अपडेट

By Riya Kumari

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Electricity may become expensive in Jharkhand

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सोशल संवाद / रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने झारखंड राज्य विद्युत विनियामक आयोग (जेएसईआरसी) द्वारा बीते 30 अप्रैल को पारित बिजली टैरिफ आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है।

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यह याचिका वित्तीय वर्ष 2023-24 के ट्रू-अप, 2024-25 की वार्षिक प्रदर्शन समीक्षा (एपीआर) और 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) व टैरिफ निर्धारण से संबंधित है। जेबीवीएनएल ने आयोग द्वारा स्वीकृत 6.34% टैरिफ वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए पुनर्विचार की मांग की है, क्योंकि निगम ने 40.02% की वृद्धि का प्रस्ताव दिया था। जेएसईआरसी का नया टैरिफ आदेश एक मई से लागू हो चुका है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में बिजली की दर में 20 पैसे और ग्रामीण क्षेत्रों में 40 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई। कुल मिलाकर, बिजली टैरिफ में 6.34% की वृद्धि को मंजूरी दी गई।

जेबीवीएनएल ने प्रति यूनिट आठ रुपये की दर की मांग की थी, लेकिन आयोग ने इसे घटाकर 6.85 रुपये प्रति यूनिट स्वीकृत किया। जेबीवीएनएल का कहना है कि यह वृद्धि उनकी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है, क्योंकि निगम को बिजली उत्पादन, वितरण, और रखरखाव में बढ़ती लागत का सामना करना पड़ रहा है।

जेबीवीएनएल ने वित्तीय घाटे का दिया हवाला

जेबीवीएनएल ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग द्वारा स्वीकृत टैरिफ वृद्धि से निगम का राजस्व घाटा कम नहीं होगा। निगम ने 40.02% टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव रखा था, ताकि बिजली आपूर्ति की लागत और परिचालन खर्चों को पूरा किया जा सके। जेबीवीएनएल का तर्क है कि कोयला, परिवहन और बुनियादी ढांचे की लागत में वृद्धि के कारण उनकी वित्तीय स्थिति दबाव में है।

उपभोक्ताओं पर पड़ेगा अतिरिक्त बोझ

आयोग द्वारा स्वीकृत टैरिफ वृद्धि से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। शहरी उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 20 पैसे और ग्रामीण उपभोक्ताओं को 40 पैसे अधिक चुकाने पड़ रहे हैं। हालांकि, जेबीवीएनएल की मांग के अनुरूप टैरिफ वृद्धि स्वीकार की जाती तो उपभोक्ताओं पर और अधिक बोझ पड़ेगा। निगम का दावा है कि उनकी मांगें वास्तविक लागतों पर आधारित हैं, और इससे बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा।

पुनर्विचार याचिका पर होगी सुनवाई 

जेएसईआरसी अब जेबीवीएनएल की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा। आयोग इस याचिका की समीक्षा कर यह तय करेगा कि क्या टैरिफ में कोई और बदलाव किया जाए। यह मामला उपभोक्ताओं और निगम के बीच संतुलन बनाने की चुनौती पेश करता है। जहां एक ओर निगम को वित्तीय स्थिरता चाहिए वहीं उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ को कम रखना भी जरूरी है।

जेबीवीएनएल की पुनर्विचार याचिका झारखंड में बिजली क्षेत्र की वित्तीय और परिचालन चुनौतियों को उजागर करती है। यह याचिका न केवल निगम की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की कोशिश है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बिजली आपूर्ति की लागत और उपभोक्ता हितों के बीच संतुलन बनाना कितना जटिल है।

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