सोशल संवाद/डेस्क : दिशोम गुरु के परिवार में जो कुछ भी ढंका-छिपा था, वह अब सार्वजनिक होने लगा है। जाहिर है, शिबू सोरेन और उनकी धर्मपत्नी इन बातों से परेशान होंगी। परेशान हेमंत सोरेन भी होंगे और जाहिर मानें, बसंत सोरेन को भी चैन नहीं होगा। पूरा परिवार डिस्टर्ब होगा, ऐसा सियासी समीक्षक मान कर चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि दो गोतनियों के इस वाकयुद्ध में कहीं सारा कुछ बाहर न आ जाए, इस आशंका से दिशोम गुरु और उनकी पत्नी ज्यादा ही परेशान हैं।
दरअसल, सीता सोरेन, जो स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं, वह मुखर हो रही हैं। जिस दिन उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ कर भाजपा का दामन थामा था, उस दिन भी उनके तेवर तल्ख थे। उनकी शिकायत यह रही है कि उनके पति के निधन के बाद से उन्हें परिवार में कोई सम्मान नहीं मिला, कोई रूतबा हासिल नहीं हुआ। बल्कि उन्हें उपेक्षा का शिकार बना कर रखा गया। इसके उलट, जिसने कुछ भी नहीं किया, उसे सब कुछ मिला। कहीं न कहीं सीता सोरेन के मन में एक टीस है, जिसे वह शब्दों का जामा फिलहाल नहीं पहना पा रही हैं। अभी हाल ही में उन्होंने बिना कल्पना सोरेन का नाम लिये कहा कि उनके मुंह में अगर अंगुली की जाएगी तो वह उन बातों को सामने ला सकती हैं, जिससे परिवार की मर्यादा शायद भंग हो जाए। जाहिर है, सीता सोरेन के मन में बहुतेरी बातें हैं, कष्ट हैं जिनको उन्होंने अब तक शब्दों का जामा नहीं पहनाया है।
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उधर, हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा था कि हेमंत सोरेन के लिए दुर्गा सोरेन सिर्फ एक बड़े भाई ही नहीं थे वरन उससे बढ़ कर पितातुल्य थे। हेमंत आखिरी वक्त तक दुर्गा जी को ही अपना सर्वस्व मानते थे। हेमंत तो राजनीति में आना ही नहीं चाहते थे। वह तो आर्किटेक्ट बनना चाहते थे। नियति को कुछ और मंजूर था। दुर्गा दा के निधन के बाद हालात ऐसे बने कि उन्हें राजनीति में आना पड़ा। मैं यह कह सकती हूं कि हेमंत जी ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमंत जी को चुना।
सीता सोरेन का कहना है कि उन्हें पति के निधन के बाद अलग-थलग कर दिया गया। उनकी बेटी को भी उपेक्षा का शिकार बनाया गया। दो गोतनियों की इस वाकयुद्ध में कुछेक लोग मजा ले रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि एक आदर्श परिवार के रुप में राज्य में जाना जाने वाला सोरेन परिवार अब चर्चा में है तो दो गोतनियों की वजह से क्यों।
आपको शाय़द याद हो, जब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बारे में चर्चाएं उड़ रही थीं। उस वक्त यह कहा जा रहा था कि नई सीएम के तौर पर कल्पना सोरेन का नाम फाइनल हो गया है। तब मीडिया में एक चर्चा यह भी चली थी कि कल्पना सोरेन का नाम सुन कर सीता सोरेन का चेहरा लाल हो गया था। कहा तो यह भी जाता है कि जिस दिन मंत्रियों की बैठक में हेमंत सोरेन कल्पा सोरेन को लेकर गये थे, उस दिन भी वह नाराज थीं। कहीं न कहीं उनके मन में यह बात चल रही थी कि तो कल्पना सोरेन विधायक हैं, न मंत्री तो फिर वह किस हैसियत से मंत्रियों के बीच बैठीं और सरकारी काम में दखल दिया।
कहते हैं, ये दो घटनाएं ऐसी हुईं, जिसने सीता सोरेन को बड़ा फैसला लेने पर मजबूर कर दिया। आने वाले दिनों में सोरेन परिवार के सीक्रेट्स अगर आप सीता सोरेन के मुंह से सुन लें, तो कोई आश्चर्य मत कीजिएगा। गोतिया डाह में इतिहास में क्या-क्या हो चुका है, एक बार पलट कर देख लीजिएगा।