सोशल संवाद /डेस्क : ईरान की उलटी गिनती शुरू ट्रम्प-नेतन्याहू की जोड़ी से कांप रहा तेहरान! तेहरान अब काले बादलों से घिर चुका है। दुनिया को एक शांत और सुरक्षित भविष्य चाहिए — जिसमें आतंकी वित्तपोषण, महिला विरोधी शासन और परमाणु ब्लैकमेल की कोई जगह न हो। अमेरिका और इज़राइल इस मिशन में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। आने वाले दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकते हैं — एक नई आज़ादी की शुरुआत, ईरान के भविष्य की पुनर्रचना। पश्चिम एशिया की धरती एक बार फिर भभक रही है। ईरान की आक्रामक गतिविधियों और अंदरूनी अस्थिरता के चलते अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति का रुख भी तेज़ी से बदल रहा है।
अमेरिका और इज़राइल — दो लोकतांत्रिक और निर्णायक राष्ट्र — अब किसी भी हाल में तेहरान को परमाणु शक्ति बनने नहीं देना चाहते। आने वाले सप्ताहों में ईरान की सत्ता पर सबसे बड़ा संकट मंडरा सकता है, और इसकी स्क्रिप्ट कहीं और नहीं, बल्कि वाशिंगटन और तेल अवीव में लिखी जा रही है। तेहरान की कट्टरपंथी सरकार, जो परमाणु बम के सपने पाल रही है, अब अमेरिका और इज़राइल के निशाने पर है। और इस बार अमेरिका का नेतृत्व कोई साधारण नेता नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रम्प कर रहे हैं — वही ट्रम्प जो कहते हैं, “We don’t negotiate with threats, we eliminate them.”
व्हाइट हाउस की रणनीति: ट्रम्प प्रशासन, जिसने पहले डिप्लोमैसी की बात की थी, अब साफ संकेत दे रहा है कि अमेरिका ‘रख-रखाव’ की नीति छोड़कर ‘एक्शन मोड’ में आ गया है। गुप्त सैन्य ऑपरेशन की योजना बना ली गई है और उसमें पश्चिमी सहयोगी देशों की भी सहमति है। अगर यह हमला होता है, तो यह न केवल ईरान की परमाणु野野野 खत्म करेगा बल्कि वहां की तानाशाही व्यवस्था को भी हिला कर रख देगा।
खुफिया रिपोर्ट्स: स्ट्राइक की उलटी गिनती शुरू?
विश्वसनीय खुफिया सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने तेहरान के 11 अत्यंत संवेदनशील सैन्य और परमाणु ठिकानों की पहचान कर ली है। इन पर प्रिसिजन स्ट्राइक की तैयारी पूरी हो चुकी है। ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि अगर ईरान को अब नहीं रोका गया, तो वह पूरी दुनिया के लिए परमाणु खतरा बन जाएगा।
इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद और अमेरिका की CIA एक साझा मिशन पर काम कर रही हैं — ऑपरेशन कोड नेम: “Firestorm Tehran”।
डोनाल्ड ट्रम्प का स्पष्ट संदेश: हाल ही में एक प्रेस ब्रीफिंग में ट्रम्प ने कहा:
“ईरान ने अगर फिर गलती की, तो हम उसका ऐसा हाल करेंगे जो उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा। हमारा बम धमाका नहीं करता — वो इतिहास बदलता है।”
ये शब्द सिर्फ धमकी नहीं, बल्कि ट्रम्प की कार्यशैली का आईना हैं।
तेहरान की बौखलाहट: ईरानी शासन के अंदरूनी हलकों में अफरा-तफरी का माहौल है। सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सेना को हाई अलर्ट पर रखा है। लेकिन सच्चाई यह है कि ईरान की जनता अब इस इस्लामिक शासन से ऊब चुकी है। हिजाब के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार, बेरोज़गारी, मुद्रास्फीति और इंटरनेट सेंसरशिप ने पूरे ईरान को एक बारूद के ढेर पर बैठा दिया है।
ट्रम्प + नेतन्याहू = इतिहास बदलने वाली जोड़ी : नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा — “हम तेहरान को बम बनाते हुए नहीं देख सकते।” और ट्रम्प उस बात को अंजाम देने वाले लीडर हैं। इससे पहले ट्रम्प ने कासिम सुलेमानी को ड्रोन से मार कर दुनिया को बता दिया था कि वो सिर्फ बोलते नहीं, करते भी हैं।
ऑपरेशन की रणनीति:
अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर पहले ही फारस की खाड़ी में तैनात हैं।
B-2 Stealth Bombers, Tomahawk Missiles, और AI-Enabled Drones इस ऑपरेशन का हिस्सा हैं।
इज़राइल की Cyber Army पहले से ही ईरान के रडार और मिसाइल सिस्टम को हैक करने की तैयारी में है।
ईरान की सत्ता डगमगाएगी? ये सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी होगा — कि अब दुनिया “आतंकी-प्रायोजित परमाणु महाशक्तियों” को सहन नहीं करेगी। ईरानी सत्ता पर अंदरूनी बगावत की संभावना पहले से ही तेज है — और ट्रम्प-नेतन्याहू की इस कार्रवाई से जनता को एक नया हौसला मिल सकता है। जनता की बगावत + बाहरी दबाव = सत्ता परिवर्तन?
ईरान की सत्ता अब दो तरफा खतरे में है — एक तरफ जनता के अंदर गहराता असंतोष, दूसरी तरफ अमेरिका-इज़राइल का सैन्य दबाव। सूत्रों का कहना है कि एक बार जब ईरान के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को ध्वस्त कर दिया जाएगा, उसके बाद रिफॉर्मिस्ट ताकतों को उभारने का मौका मिल सकता है।
ईरान अब एक क्रांतिकारी मोड़ पर खड़ा है। ट्रम्प की वापसी का मतलब है — कोई रहम नहीं, सिर्फ रिज़ल्ट। और जब इज़राइल जैसे राष्ट्र की सटीक खुफिया क्षमता के साथ अमेरिका का सैन्य बल मिल जाए, तो इतिहास गढ़ा जाता है — और तानाशाह मिटा दिए जाते हैं।
तो क्या ये ईरान की सरकार के अंत की शुरुआत है? या मध्य-पूर्व का नया नक्शा बनने वाला है?
फॉक्स ग्लोबल टाइम्स इस मिशन की हर हरकत पर आपकी नजर बना रहेगा। अगली रिपोर्ट में हम लाएंगे – तेहरान के भीतर से रिपोर्टिंग, जहाँ अब हर धड़कन पर डर और हर कोने में साज़िश है।