सोशल संवाद/डेस्क : महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार बनी, तो वे वक्फ (संशोधन) कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे। इस पर बीजेपी ने पलटवार किया। डिप्टी CM विजय सिन्हा ने कहा- तेजस्वी नमाजवादी है। कोई मुख्यमंत्री केंद्र के कानून को कैसे रद्द कर सकता है?’

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अगर तेजस्वी यादव सीएम बनते हैं, तो क्या वे वक्फ कानून में बदलाव कर सकते हैं?
जवाबः वक्फ को संविधान की समवर्ती सूची में शामिल किया गया है। यानी इस पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकती हैं, लेकिन अगर किसी विषय पर दोनों के कानूनों में टकराव होगा, तब केंद्र सरकार का कानून माना जाएगा। ऑर्टिकल-256 के मुताबिक, राज्य सरकारें केंद्र के बनाए कानून और उनके निर्देशों का पालन करने से मना नहीं सकती हैं।
पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रभात भारद्वाज कहते हैं, ‘राज्य सरकारें वक्फ बोर्डों के प्रशासनिक कार्यों में अपनी भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन केंद्र के बनाए कानून को रद्द या अमान्य नहीं कर सकती। सिर्फ बिहार में सरकार बना लेने से वक्फ कानून को मानने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके लिए केंद्र में सरकार या राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होगी। और केंद्र में सरकार तेजस्वी विरोधी भाजपा सरकार है।
सवाल-4: जब कानून में बदलाव नहीं कर सकते तो क्यों कहा- सत्ता में आने पर कूड़ेदान में फेंक देंगे?
जवाब: दरअसल, इसके पीछे तेजस्वी का राजनीतिक फायदा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार में मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 18% है। राज्य की 40 ऐसी सीटें हैं, जहां 25% से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं। इसके अलावा 20 ऐसी सीटें हैं, जहां 20 से 25% मुसलमान वोटर हैं।
अमौर और कोचाधामन में तो 74% मुस्लिम वोटर हैं। वहीं, बायसी और बहादुरगंज में करीब 70% मुस्लिम वोटर हैं। इस तरह राज्य की 243 विधानसभा में से 60 से 70 सीटों में मुस्लिम अहम फैक्टर हैं। अगर इन सीटों पर मुस्लिमों का किसी एक पार्टी के पक्ष में ध्रुवीकरण हुआ तो फायदा हो सकता है।








