सोशल संवाद/डेस्क : अवगत हैं कि आतंक, हत्या, रंगदारी, दबंगई की घटनाएं असहनीय हो जाने के कारण व्यवसायियों के आह्वान पर धनबाद बंद है। वासेपुर गैंग के आतंक से गुजर चुका धनबाद अब विदेश से संचालित आधुनिक वासेपुर गैंग-2 की दंबगई, गुंडागर्दी, हत्या और रंगदारी से त्रस्त हो गया है। धनबाद की पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। जिस प्रकार से धनबाद में कोयला की अबाध चोरी ने वहाँ अपराध का एक नया संसार सृजित किया है और एक समय के जमीन के कतिपय दबंग कारोबारी रेलवे के ठेकेदारी में दबंगई दिखाने के बाद अब कोयला और रंगदारी के अवैध कारोबार में जुुट गए हैं। अब धनबाद के व्यवसायियों को खाड़ी के दुबई और शारजाह जैसी जगहों से व्हाट्सएप और फेसटाइम काॅल करके उनके मन में दहशत भर रहे हैं। इससे त्रस्त होकर जब पानी नाक के ऊपर जाने लगा तो धनबाद के व्यवसायियों के सामने आंदोलन पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया और आज से उन्होंने धनबाद बंद रखने का एलान कर दिया है। वस्तुतः धनबाद में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गयी है।
ऐसा नहीं है कि वासेपुर के फहीम और उसके भांजे पिं्रस खान के गिरोह के बीच चल रही गलाकाट प्रतिस्पर्धा से धनबाद का प्रशासन तंत्र अनभिज्ञ है। वस्तुतः इन गिरोहों की धनबाद की पुलिस और प्रशासन में गहरी पैठ बन गई है, जिसके कारण प्रिंस खान नामक अपराधी हैदर के जाली नाम से पासपोर्ट बनवाकर टूरिस्ट वीजा पर विदेश चला गया और अब दुबई और शारजाह से वहाँ के व्यवसायियों को आतंकित कर रहा है। जो उसे रंगदारी नहीं देते उनकी हत्या कर रहा है और डंके की चोट पर हत्या की जिम्मेदारी ले रहा है, परंतु पुलिस प्रशासन कतिपय छुटभैयों को गिरफ्तार कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ले रहा है। जिस तरह से पिं्रस खान गिरोह का आतंक धनबाद के व्यवसाय जगत में पसर चुका है उसके झारखंड के अन्य जिलों में भी पसरने की प्रबल संभावना हो गयी है। पिं्रस खान का रिश्ते में मामा फहीम फिलहाल जमशेदपुर के घाघीडीह जेल में बंद है। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि धनबाद के बाद फहीम-प्रिंस गिरोह की प्रतिद्धंदिता का अगला शिकार औद्योगिक शहर जमशेदपुर हो जाएगा।
आश्चर्य तो यह है कि धनबाद में पिं्रस खान का आतंक और कोयला की चोरी दोनों ही एक साथ तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं। उन्होंने यहाँ के सैकड़ों नौजवानों को गिरफ्त में लेकर अपना गिरोह बना लिया है और चोरी तथा हत्याओं के कारोबार में इन्हें झोंक रहा है। इस मामले में केवल धनबाद के पुलिस तंत्र पर ही नहीं बल्कि झारखंड की सरकार पर भी ऐसे गिरोहों के साथ सांठ-गांठ होने की चर्चा वहाँ आम बात हो गयी है। यह सवाल भी वहाँ चर्चा का विषय बना हुआ है कि एक साल पहले धनबाद के पुलिस अधीक्षक की प्रोन्नति डीआईजी में हो गयी फिर भी वे वहाँ वरीय पुलिस अधीक्षक पद पर जमे हैं। इसके लिए धनबाद के वरीय पुलिस अधीक्षक जितना जिम्मेदार हैं उससे अधिक जिम्मेदार झारखंड की सरकार प्रतीत हो रही है।
हम सभी अवगत है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किस प्रकार वहाँ के दबंग और सक्रिय अपराधी माफिया गिरोह को घुटने पर ला दिया है। वहाँ के अपराधी, माफिया, दबंग, हत्यारे गिरोहों के सरगना आदि सभी यूपी की सरकार से सहमे हुए हैं। झारखंड में भी अपराधी गिरोह के खिलाफ योगी सरकार के पैटर्न पर कारवाई की जरूरत है। यहाँ तो लगता है कि पुलिस प्रशासन ही अपराधी गिरोह के सामने सहमा हुआ है। आपसे अनुरोध है कि धनबाद की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तथा वहाँ के अपराधी गिरोहों का जड़ से उन्मूलन करने के लिए पुलिस बल का एक सशक्त स्पेशल टास्क फोर्स गठित करें और इस फोर्स को अपराधियों के विरूद्ध कारवाई करने की पूरी छूट दें ताकि धनबाद के साथ ही जमशेदपुर सहित झारखंड के अन्य आर्थिक गतिविधियों वाले स्थानों को ऐसी गिरोहों की चपेट में आने से बचाया जा सके।