सोशल संवाद / नई दिल्ली : कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग पर भाजपा के चुनाव एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाया है। लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधारों पर बोलते हुए केसी वेणुगोपाल ने पूछा कि आज के डिजिटल युग में मशीन-पठनीय मतदाता सूची क्यों नहीं बनाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कानून लाकर चुनाव आयुक्तों के चयन की प्रक्रिया से मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया और उनकी जगह प्रधानमंत्री की पसंद के कैबिनेट मंत्री को रख दिया। उन्होंने चुनाव आयोग और उसके अधिकारियों को किसी भी कार्रवाई से कानूनी छूट देने वाले प्रावधान की भी कड़ी आलोचना की।
वेणुगोपाल ने कहा कि अब स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग का विचार खत्म हो गया है। चुनाव आयोग खुलेआम राजनीतिक दबाव में झुक रहा है और एक पार्टी वाली संस्था बनकर रह गया है। उन्होंने राहुल गांधी के बयान को दोहराते हुए कहा कि वोट चोरी एक राष्ट्रविरोधी काम है। चुनाव आयोग इस अपराध को रोकने के बजाय इसे बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने सवाल किया कि एसआईआर के काम के भारी दबाव में अपनी जान गंवाने वाले बूथ लेवल अधिकारियों के परिवारों को कौन जवाब देगा?
वेणुगोपाल ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को सिर्फ विपक्ष के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही आयकर विभाग, सीबीआई और ईडी बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। विपक्षी नेताओं पर हर दिन छापे पड़ते हैं, जबकि भाजपा नेताओं के साथ कुछ नहीं होता; उन्हें बरी कर दिया जाता है और वे आजाद घूमते हैं । उन्होंने याद दिलाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आयकर रिटर्न दाखिल करने में दो हफ्ते की मामूली देरी के कारण कांग्रेस के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया था।
केसी वेणुगोपाल ने चुनाव आयोग के 2004 के एसआईआर के आदेश की प्रति सदन में दिखाई और बताया कि तब इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए छह महीने का समय दिया गया था, यह चुनाव से दो महीने पहले नहीं हुआ था। उन्होंने सवाल उठाया कि बिहार में क्या ऐसा हुआ कि चुनाव से दो महीने पहले एसआईआर करवाना पड़ा। उन्होंने यह भी पूछा कि वर्तमान एसआईआर प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा करने की जरूरत क्यों है।








