सोशल संवाद/डेस्क : प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एक हलफनामा दायर किया. ईडी ने कहा कि राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते हैं और अपराध करने पर उन्हें भी किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है. ईडी ने कहा, चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक है और न ही संवैधानिक. ईडी ने कहा कि ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो किसी किसान या अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने की इच्छा रखने वाले व्यवसायी के मुकाबले प्रचार करने वाले राजनेता के साथ अलग व्यवहार करने को उचित ठहराता हो.
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि केवल राजनीतिक प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना समानता के नियम के खिलाफ होगा और भेदभावपूर्ण होगा, क्योंकि प्रत्येक नागरिक का काम/व्यवसाय/पेशा या गतिविधि उसके लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लोकसभा चुनाव के कारण अरविंद केजरीवाल के प्रति किसी भी तरह की नरमी दिखाने का कड़ा विरोध किया था और कहा था कि आप के राष्ट्रीय संयोजक को अंतरिम जमानत देना राजनेताओं के लिए एक अलग वर्ग बनाने जैसा होगा. सुप्रीम कोर्ट कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत को लेकर 10 मई को अपना आदेश सुनाएगा. गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने गुरुवार को कहा था, हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएंगे. गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर उस दिन सुनवाई भी होगी.