सोशल संवाद/डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में 8900 करोड़ की लागत से बने विझिनजाम इंटरनेशनल डीप सी-वाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट का उद्घाटन किया। इस दौरान PM ने केरल के CM पिनराई विजयन और कांग्रेस नेता शशि थरूर के मंच पर होने पर कांग्रेस पर तंज कसा।
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PM ने कहा कि, ‘मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि आप INDI गठबंधन के मजबूत स्तंभ हैं। शशि थरूर भी यहां बैठे हैं। आज का यह कार्यक्रम कई लोगों की नींद उड़ाने वाला है। जहां मैसेज जाना था चला गया।’ मोदी ने पोर्ट को देश के विकास के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा- इस पोर्ट को ₹8,800 करोड़ की लागत से बनाया गया है। यहां आने वाले समय में तीन गुना ज्यादा जहाजों का ट्रांस-शिपमेंट किया जा सकेगा और अब बड़े-बड़े माल ढोने वाले जहाज भी सीधे भारत आ सकेंगे।
केरल के कार्यक्रम के बाद PM आंध्र प्रदेश के लिए रवाना होंगे। वे दोपहर 3.30 बजे अमरावती पहुंचेंगे। यहां 58 हजार करोड़ के कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। साथ ही अमरावती कैपिटल सिटी के निर्माण कार्यों की रीलॉन्चिंग भी करेंगे।
PM के संबोधन की अन्य 5 बड़ी बातें…
भारत में निवेश बढ़ा- भारत सरकार ने सागरमाला और गति शक्ति योजनाओं के तहत बंदरगाहों को आधुनिक बनाया है। अब सड़क, रेल, जल और हवाई रास्तों को जोड़ा जा रहा है। इससे व्यापार आसान हुआ है और निवेश भी बढ़ा है।
केरल शांति की भूमि- केरल हमेशा से ही शांति और धर्म सहिष्णुता की धरती रहा है। यहां हजारों साल पहले सेंट थॉमस चर्च बना था। हाल ही में पोप फ्रांसिस का निधन हुआ, जिनके अंतिम संस्कार में भारत के राष्ट्रपति भी शामिल हुए।
भारत में शीपोर्ट की क्षमता दोगुनी हुई- पिछले 10 सालों में भारत ने कड़ी मेहनत से बड़ी तरक्की की है। बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी हुई, जलमार्ग आठ गुना बढ़े। दो बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 30 में हैं और भारत जहाज निर्माण में भी आगे है।
देश में नाविकों की संख्या बढ़ी- भारत सरकार ने नाविकों के हित में कई बड़े सुधार किए हैं। 2014 में देश में करीब 1.25 लाख नाविक थे, जो अब बढ़कर 3.25 लाख हो गए हैं। अब भारत दुनिया में सबसे ज्यादा नाविक देने वाले तीन देशों में है।
भारत हजारों सालों तक समृद्ध था – अंग्रेजों की गुलामी से पहले भारत हजारों सालों तक समृद्ध था और दुनिया की अर्थव्यवस्था में बड़ी हिस्सेदारी रखता था। उस समय भारत की समुद्री ताकत और बंदरगाहों से होने वाला व्यापार ही हमें खास बनाता था। इसमें केरल की बड़ी भूमिका थी।