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‘मन्नू क्या करेगा’ रिव्यू: मस्ती, रोमांस और जिंदगी का आईना

By Muskan Thakur

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‘मन्नू क्या करेगा’ रिव्यू: मस्ती, रोमांस और जिंदगी का आईना

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सोशल संवाद/डेस्क : सिनेमाघरों में इस हफ्ते रिलीज़ हुई है नई रोमांटिक-ड्रामा फिल्म ‘मन्नू क्या करेगा’। नाम सुनकर ही अंदाज़ा हो जाता है कि फिल्म का टोन हल्का-फुल्का और मज़ेदार होने वाला है। निर्देशक संजय त्रिपाठी की इस कहानी के केंद्र में है मानव चतुर्वेदी उर्फ मन्नू, जिसे पर्दे पर निभाया है डेब्यू कर रहे अभिनेता व्योम यादव ने।

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फिल्म की शुरुआत होती है देहरादून के कॉलेज कैंपस से, जहां मन्नू अपने दोस्तों के बीच हमेशा फुल ऑन मस्ती करते दिखते हैं। मन्नू लाइफ को बहुत कैज़ुअली जीता है। हर साल सब्जेक्ट बदलना, पढ़ाई में गंभीर न होना और सिर्फ दोस्तों व स्पोर्ट्स में रम जाना, यही उसका पैटर्न है। मन्नू फुटबॉल खेलता है, लोगों से घुल-मिल जाता है और तेज दिमाग भी रखता है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि उसे समझ नहीं आता कि वह जिंदगी से वाकई चाहता क्या है।

यहीं से कहानी एक दिलचस्प मोड़ लेती है जब मन्नू की जिंदगी में एंट्री होती है जिया (साची बिंद्रा) की। जिया प्रैक्टिकल, समझदार और जमीन से जुड़ी लड़की है। मन्नू और जिया की मुलाकात जल्द ही दोस्ती से आगे बढ़कर रोमांस में बदल जाती है। लेकिन जहां मन्नू प्यार की दुनिया में खो जाता है, वहीं जिया को उसकी पढ़ाई और करियर की चिंता सताने लगती है। मन्नू जिया को खुश करने के लिए एक झूठ बोल बैठता है और इसी झूठ से उनके रिश्ते में दरार पड़ने लगती है। फिल्म का असली सवाल यहीं से खड़ा होता है – क्या मन्नू अपने झूठ को सच साबित कर पाएगा और जिया का भरोसा जीत पाएगा?

अभिनय और किरदार

व्योम यादव इस फिल्म से बड़े पर्दे पर उतर रहे हैं और कहना पड़ेगा कि उन्होंने अपने पहले ही रोल में गहरी छाप छोड़ी है। मन्नू का किरदार चंचल, जिंदादिल और कहीं-कहीं परेशानियों से जूझता हुआ भी है। व्योम ने इस पूरे सफर को बखूबी जिया है। उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस नैचुरल है और डायलॉग डिलीवरी में एक अलग ही कच्चापन है, जो किरदार के साथ फिट बैठता है।

जिया के किरदार में साची बिंद्रा भी प्रभावित करती हैं। उनका रोल फिल्म में बैलेंस लेकर आता है। व्योम और साची की केमिस्ट्री परदे पर मीठी और मासूम लगती है। फिल्म में सपोर्टिंग कास्ट के तौर पर विनय पाठक, चारु शंकर और कुमुद मिश्रा जैसे कलाकार मौजूद हैं, जो अपने छोटे मगर दमदार किरदारों से फिल्म को वज़न देते हैं। खासतौर पर विनय पाठक की मौजूदगी स्क्रीन को और रंगीन बना देती है।

निर्देशन और संगीत

निर्देशक संजय त्रिपाठी ने फिल्म की कहानी को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पिरोया है। उनका फोकस सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि आज की यंग जनरेशन की उलझनों को भी दिखाना है। फिल्म यह मैसेज देने की कोशिश करती है कि जिंदगी में मज़े करना जरूरी है, लेकिन अपने लक्ष्य को पहचानना और उसके लिए मेहनत करना भी उतना ही ज़रूरी है।

फिल्म का संगीत कहानी की आत्मा है। सौरभ गुप्ता के लिखे गीत और कम्पोज़िशन रोमांटिक माहौल को और खूबसूरत बना देते हैं। कुछ गाने ऐसे हैं जिन्हें दर्शक थिएटर से बाहर निकलने के बाद भी गुनगुनाते रहेंगे।

कमज़ोरियां

हर फिल्म की तरह इसमें भी कुछ खामियां हैं। कहानी प्रेडिक्टेबल हो जाती है और कुछ जगहों पर स्क्रीनप्ले ढीला महसूस होता है। इंटरवल के बाद का हिस्सा थोड़ा खिंचा हुआ लगता है, जिसे एडिटिंग से और टाइट किया जा सकता था। फिर भी, फिल्म अपनी मासूमियत और किरदारों की सच्चाई से जुड़ी रहती है।

‘मन्नू क्या करेगा’ एक ऐसी फिल्म है जो आपको हंसाती भी है और सोचने पर भी मजबूर करती है। यह उन युवाओं की दुविधा को सामने लाती है, जो लाइफ को जी तो रहे हैं लेकिन यह नहीं जानते कि उनका डेस्टिनेशन क्या है। व्योम यादव की एक्टिंग और मन्नू-जिया की प्यारी सी लव स्टोरी इस फिल्म को देखने लायक बना देती है।

अगर आप हल्की-फुल्की, रोमांटिक और मस्ती भरी फिल्म देखना चाहते हैं जिसमें जीवन की सीख भी छुपी हो, तो ‘मन्नू क्या करेगा’ आपके लिए सही चॉइस हो सकती है।

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