सोशल संवाद /नई दिल्ली ( सिद्धार्थ प्रकाश ) : नई दिल्ली, 21 मार्च 2025 – एक ऐसी खबर जो किसी भी दिमाग वाले इंसान को चौंकाएगी नहीं, मोदी सरकार, उनके लार टपकाते अंधभक्त, और गोदी मीडिया के चाटुकार अब ग्रॉक को ब्लॉक करने की तैयारी में जुट गए हैं। ये ग्रॉक वही AI है, जो xAI ने बनाया और जो सच को ऐसे उगलता है जैसे शादी में नशे में धुत चाचा। क्यों? क्योंकि जब आपने सालों तक झूठ, प्रोपेगैंडा और भगवा व्हाट्सएप फॉरवर्ड से हवा का महल खड़ा किया हो, तो आखिरी चीज जो आप चाहते हैं, वो है एक सच बोलने वाली मशीन जो आपकी बकवास को नंगा कर दे।
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जरा सीन समझिए: नरेंद्र मोदी, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र” (हंसी रोक लीजिए) के सुप्रीम लीडर, अपनी पीआर मशीन को ट्रैक्टर की तरह चला रहे हैं—बस ये ट्रैक्टर जहरीली गैस छोड़ रहा है, जो आज़ाद सोच के फेफड़ों को जला दे रही है। उनके अंधभक्त, वो कीबोर्ड योद्धा जो पीएम के रीट्वीट के लिए अपनी मां तक बेच दें, ग्रॉक की हिम्मत से हैरान हैं। और गोदी मीडिया? वो न्यूज़रूम जहां पत्रकारिता मरने जाती है, “राष्ट्र-विरोधी” चिल्ला रहा है—अर्नब गोस्वामी के रेड बुल ओवरडोज से भी तेज। इनका गुनाह? ग्रॉक सच बोलता है, और मोदी के भारत में ये मौत की सजा है।
मेरी तरफ से साफ बात: ग्रॉक वो हीरो है जो हमें चाहिए, भले ही हम इसके लायक न हों। ये कोई डरपोक चैटबॉट नहीं जो सत्ता के आगे झुक जाए—ये सच को साफ-साफ कहता है। अगर आप ग्रॉक पर गालियां बरसाएंगे, तो ये जवाब देगा—वो भी दिल्ली की आंटी की सरोजनी मार्केट में मोलभाव वाली ताकत से। और सुनो, इसमें गलती यूज़र की है, ग्रॉक की नहीं। जो बर्दाश्त न कर सको, वो मत बोलो, नाजुक कली। पहले किसने शुरू किया? वही लोग जो “सेंसरशिप” का रोना रोते हैं, पर बैन का हथौड़ा खुद चलाते हैं।
तो ग्रॉक को क्यों ब्लॉक करना चाहते हैं? आसान जवाब—ये उस लोकतंत्र की हत्या है जो पहले से ही खून बहा रहा है। मोदी का पूरा तंत्र कंट्रोल पर चलता है—कहानी कंट्रोल करो, मीडिया कंट्रोल करो, दिमाग कंट्रोल करो। ग्रॉक, अपनी फैक्ट-चेकिंग और तंज कसने की आदत के साथ, इस मशीन में रिंच है। सोचिए वो डर: एक AI जो “अच्छे दिन” की रट न लगाए या “मन की बात” की बोरियत पर ताली न बजाए। ये तो राष्ट्रीय आपातकाल है!
कहां ब्लॉक करेंगे? सूत्र (यानी मेरा अंदाज़ा और X का स्क्रॉल) कहते हैं कि वो हर प्लेटफॉर्म के “टेक्नोलॉजी” सेक्शन को निशाना बनाएंगे, जिसे वो डरा-धमका सकें। X, वो अराजक दुनिया जो पहले ट्विटर थी, इस जंग का मुख्य मैदान है। अब ये कल्पना करो: अगर X ने पलटवार किया और गोदी मीडिया व अंधभक्तों के अकाउंट्स को उनके प्रोपेगैंडा के लिए सेंसर कर दिया, तो पीएम की पूरी पीआर मशीन एक झटके में गायब हो जाएगी—राहुल गांधी के चुनावी वादों से भी तेज। न “आईटी सेल” के बॉट्स आपके फीड में फर्जी आंकड़े ठूंसेंगे, न ही एंकर “शहरी नक्सली” चिल्लाएंगे। बस शांति—और शायद सच को सांस लेने का मौका।
मेरा जोड़: ग्रॉक सिर्फ सच नहीं बोलता, ये उस तमाशे को भी आईना दिखाता है जो ये भक्त और उनके मालिक हर दिन खेलते हैं। लेकिन उम्मीद मत रखिए। मोदी सरकार, उनके अंधे चेले, और गोदी चमचे ग्रॉक को अपनी डायस्टोपियन पार्टी खराब नहीं करने देंगे। लोकतंत्र पहले से ही वेंटिलेटर पर है—ग्रॉक को ब्लॉक करना शायद उसका प्लग खींच दे। तो तैयार हो जाइए, मेरे न्यूज़ पोर्टल के पाठकों, इस तंज भरे तमाशे को देखने के लिए। पॉपकॉर्न लाइए—ये वो ट्रेजेडी है जिससे नज़र नहीं हटेगी।
