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मुर्शिदाबाद हिंसा, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-क्या राष्ट्रपति को आदेश दें:केंद्रीय बलों की तैनाती से इनकार किया, वकील के दावों पर भी सवाल उठाए

By Riya Kumari

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Murshidabad violence, Supreme Court asked- should we order the President:

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सोशल संवाद/डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की याचिका पर कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला ले। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया। बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा- क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं। जस्टिस गवई अगले महीने CJI बनने वाले हैं।

यह भी पढ़े : हम पर आरोप लग रहा है कि हम कार्यपालिका के अधिकारों में दखल दे रहे हैं और आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को परमादेश जारी करें- जस्टिस बी आर गवई

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को कहा था कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले थे कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकते। जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं। दूसरी ओर, जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में मुर्शिदाबाद हिंसा से जुड़ी दूसरी याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें वकील ने मुर्शिदाबाद हिंसा के चलते लोगों के पलायन की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने वकील से सवाल किया कि आपकी इस सूचना का सूत्र क्या है, क्या आपने खुद जांच की थी। इस पर वकील ने जवाब दिया- मीडिया रिपोर्ट्स।

हाईकोर्ट का सुझाव- हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा हो

कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखने पर 17 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की बेंच नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

जिले के संवेदनशील इलाकों में केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात हैं। सुवेंदु अधिकारी ने अपील की है कि विस्थापित लोगों की उनके घरों में वापसी के लिए राज्य सरकार की तरफ से कदम उठाए जाने के निर्देश दिए जाएं।

इससे पहले हाईकोर्ट ने सुझाव दिया था कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से एक-एक सदस्य वाला पैनल हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करे।

AIMPLB ने 87 दिन प्रदर्शन का ऐलान

नए वक्फ कानून के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ‘वक्फ बचाव अभियान’ चला रहा है। इसका पहला फेज 11 अप्रैल से शुरू हो गया है। यह विरोध 7 जुलाई तक यानी 87 दिन चलेगा। वक्फ कानून के विरोध में 1 करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो PM मोदी को भेजे जाएंगे। इसके बाद अगले फेज की रणनीति तय की जाएगी।

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