सोशल संवाद/डेस्क : बॉलीवुड एक्ट्रेस नेहा धूपिया अपने बेबाक अंदाज़ और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर बोलने के लिए जानी जाती हैं। एक बार फिर उन्होंने एक ऐसा विषय उठाया है, जिस पर समाज अक्सर चुप्पी साध लेता है – शादी से पहले प्रेग्नेंसी और उससे जुड़ा ट्रोलिंग व मानसिक दबाव। नेहा ने अपनी निजी जिंदगी के अनुभव साझा करते हुए इस मुद्दे पर खुलकर बात की है और कहा है कि समाज को महिलाओं के फैसलों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
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साल 2018 में नेहा ने अभिनेता अंगद बेदी से अचानक शादी कर सबको चौंका दिया था। शादी के कुछ ही समय बाद उनके गर्भवती होने की खबर ने फिर एक बार सबका ध्यान खींचा और उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने उनकी शादी और प्रेग्नेंसी को लेकर सवाल खड़े किए। अब इन सभी बातों पर नेहा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
नेहा ने साफ कहा कि वह पहली महिला नहीं हैं जो शादी से पहले प्रेग्नेंट हुई हैं। उन्होंने नीना गुप्ता और आलिया भट्ट जैसे उदाहरणों का ज़िक्र करते हुए कहा कि “ये कोई नई बात नहीं है, लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि आज भी समाज इस पर इतनी निगेटिव प्रतिक्रिया देता है। किसी को यह तय करने का हक नहीं कि कोई कब शादी करेगा या बच्चे पैदा करेगा। ये बकवास है।”
इन्हीं अनुभवों से प्रेरित होकर नेहा ने ‘फ्रीडम टू फीड’ नामक एक कैंपेन की शुरुआत की। इस कैंपेन का उद्देश्य महिलाओं को प्रेग्नेंसी, ब्रेस्टफीडिंग और पोस्टपार्टम जैसी ज़रूरी बातों पर खुलकर बोलने के लिए एक सुरक्षित मंच देना है। नेहा का मानना है कि समाज में इन विषयों पर बात करना अभी भी टैबू माना जाता है, जबकि महिलाओं की सेहत और भावनात्मक स्थिति पर इनका सीधा असर पड़ता है।
उन्होंने कहा, “जब मैंने मेहर को जन्म दिया तो कई लोगों ने पूछा – 6 महीने में बच्चा कैसे हो गया? लेकिन मुझे इन बातों से फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मां बनना एक बेहद सुंदर अनुभव है। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इस बारे में बात करूं और बाकी महिलाओं को भी बोलने के लिए प्रेरित करूं।”
नेहा मानती हैं कि जब तक महिलाएं खुद अपने हक के लिए आवाज़ नहीं उठाएंगी, तब तक समाज में बदलाव आना मुश्किल है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि “अगर महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों और भावनाओं को लेकर कोई ट्रोल करता है, तो उसे नजरअंदाज़ करना चाहिए और अपने मिशन पर डटे रहना चाहिए।”
फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने से लेकर सामाजिक मुद्दों पर आवाज़ उठाने तक, नेहा धूपिया ने हमेशा खुद के अनुभवों को एक मिसाल बनाया है। उनका यह साहसी कदम न केवल ट्रोलर्स को जवाब देता है, बल्कि उन हजारों महिलाओं को भी ताकत देता है जो आज भी समाज के सवालों से घबराती हैं।
नेहा की ये पहल साबित करती है कि सच्ची हिम्मत वही होती है जो नज़रों से नहीं, सोच और संकल्प से दिखती है।








