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दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के नए कदम: उम्मीदें, चुनौतियाँ और ज़मीनी सच्चाई

By Tamishree Mukherjee

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दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के नए कदम

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सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने राजधानी की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इसके तहत 15 साल पुराने वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध, बड़े परिसरों में एंटी-स्मॉग गन की अनिवार्यता और गंभीर प्रदूषण के दिनों में क्लाउड सीडिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है।

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वाहनों पर प्रतिबंध: 1 अप्रैल से 15 साल पुराने वाहनों को ईंधन न देने का निर्णय लिया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम प्रदूषण नियंत्रण में मददगार हो सकता है।

एंटी-स्मॉग गन: ऊंची इमारतों, होटल और व्यावसायिक परिसरों में एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य किया गया है। यह तकनीक स्थानीय स्तर पर राहत दे सकती है, लेकिन इसकी सीमित प्रभावशीलता और उच्च लागत छोटे कारोबारियों के लिए चुनौती बन सकती है।

क्लाउड सीडिंग: गंभीर प्रदूषण के दौरान कृत्रिम वर्षा कराने का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि, यह तकनीक जलवायु पर निर्भर है और काफी महंगी भी है, जिससे इसका दीर्घकालिक समाधान के रूप में उपयोग मुश्किल हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय: विशेषज्ञों का कहना है कि ये कदम सराहनीय हैं, लेकिन स्थायी सुधार के लिए पराली जलाने की समस्या, औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण, और हरित क्षेत्रों के विस्तार जैसे उपायों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

आगे की राह: दिल्ली सरकार की यह पहल एक सकारात्मक शुरुआत है, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन, वित्तीय सहायता और दीर्घकालिक नीति सुधार के बिना राजधानी की हवा में स्थायी सुधार की उम्मीद अधूरी रह सकती है।

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