सोशल संवाद/डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार ने शुक्रवार को समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर जोर देते हुए इसे वक्त की ज़रूरत बताया। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र और एक कानून’ सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा। आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर शुक्रवार को फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी की ओर से आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार का विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया।
इंद्रेश कुमार ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि पूरी दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो एक कानून द्वारा शासित न हो। उन्होंने कहा, “हमें अपनी विविधता का जश्न मनाकर और ‘एक राष्ट्र, एक कानून और एक व्यक्ति’ के विचार को बरकरार रखते हुए एक उदाहरण पेश करना होगा।
हमारे देश में विभिन्न धर्म हैं और असंख्य मतों के कारण वरिष्ठ संघ नेता कुमार ने कहा कि “शोषण और अन्याय की संभावना है। भारत एकमात्र देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं। इसलिए सार्वभौमिक नागरिक संहिता के कार्यान्वयन से यह देश शांतिपूर्ण हो जाएगा।
ईसाई समुदाय से जुड़ी राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त नीलम सी डे ने अपने भाषण में समान नागरिक संहिता के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि ईसाई समुदाय से संबंधित अधिकांश कानून पहले से ही एक कानून सिद्धांत के अनुसार हैं। उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि इससे महिला सशक्तिकरण और समाज का विकास होगा।
इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) मनोज के सिन्हा ने अपने विचार-विमर्श में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के विचार को सामने रखने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने आतंकवाद की बढ़ती समस्या के खिलाफ ‘एक वैश्विक कानून’ की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम नई दिल्ली के कृष्ण मेनन भवन में हुआ था जिसमें समाज के अनेकों समुदाय से जुड़े बुद्धिजीवियों ने शिरकत की तथा कार्यक्रम को सराहा। इस अवसर पर आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार के विचारों से सभी पूर्ण रूप से सहमत नजर आए। इंद्रेश कुमार के व्याख्यान का लोगों ने पुरजोर तालियों से स्वागत किया।