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विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त की पक्षपातपूर्ण भूमिका पर सवाल उठाए

By Tamishree Mukherjee

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विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त की पक्षपातपूर्ण भूमिका पर सवाल उठाए

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सोशल संवाद / नई दिल्ली : विपक्षी दलों ने मुख्य चुनाव आयुक्त पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रविवार की प्रेस वार्ता में उन्होंने किसी संवैधानिक पदाधिकारी की तरह नहीं, बल्कि भाजपा प्रवक्ता की तरह व्यवहार किया। विपक्ष का कहना है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने उनके द्वारा उठाए गए किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।

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नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में अनेक प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ पत्रकार वार्ता करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि चुनाव आयोग विपक्षी दलों के सवालों का जवाब नहीं दे रहा और अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है।

इस दौरान समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव, टीएमसी से महुआ मोइत्रा, शिवसेना यूबीटी से अरविंद सावंत, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, राजद से मनोज झा, डीएमके से तिरुचि शिवा और सीपीएम से जॉन ब्रिटास ने भी मुख्य चुनाव आयुक्त की पक्षपातपूर्ण भूमिका पर सवाल उठाए।  

गौरव गोगोई ने कहा कि मतदान का अधिकार संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है और चुनाव आयोग इसका संरक्षक है। लेकिन हाल के घटनाक्रमों से लगता है कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहा है। उन्होंने हाल ही में बिहार में एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख किया, जिसमें कोर्ट ने चुनाव आयोग के तर्कों को नकार दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक पत्रकार वार्ता की। जिसमें उन्हें विपक्ष के द्वारा उठाए गए जायज सवालों का उत्तर देना चाहिए था। लेकिन इसके बजाय उन्होंने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए और उन पर आक्रमण किया।

गोगोई ने चुनाव आयोग को घेरते हुए कहा कि उसने इन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब नहीं दिए कि बिहार में चुनाव सिर्फ तीन महीने दूर हैं, फिर भी चुनाव आयोग ने इतनी हड़बड़ी में बिना विपक्षी दलों से चर्चा किए एसआईआर प्रक्रिया क्यों शुरू की? बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जाने का कारण सर्चेबल फॉर्मेट में क्यों जारी नहीं किया गया, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था? चुनाव आयोग आधार कार्ड को मतदाता की पहचान का प्रमाण मानने से क्यों इनकार कर रहा था? 

महाराष्ट्र में हुई वोटों की धांधली का उल्लेख करते हुए कांग्रेस नेता ने पूछा कि वहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच 70 लाख नए वोटर कैसे जुड़ गए? चुनाव आयोग ने यह निर्णय क्यों लिया कि पोलिंग बूथ की सीसीटीवी फुटेज को 45 दिन बाद डिलीट कर दिया जाएगा? इसके अलावा उन्होंने यह भी पूछा कि लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा उठाए गए महादेवपुरा में लगभग एक लाख फर्जी मतदाताओं के मुद्दे पर चुनाव आयोग मौन क्यों रहा? मशीन रीडेबल इलेक्टोरल वोटर लिस्ट मतदाता की निजता का उल्लंघन कैसे करती है?  

गौरव गोगोई ने आगे कहा कि पत्रकार वार्ता में चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया। ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी विशेष पार्टी का पक्ष लेते हैं। इसी कारण वे किसी भी निष्पक्ष जांच के खिलाफ दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी आएंगे, अधिकारी जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा बना रहेगा। उन्होंने चुनाव आयोग को आगाह किया कि सांसद और विभिन्न राजनीतिक दल उसके कार्यों पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम उठाएंगे।

वहीं कांग्रेस सांसद डॉ. नासिर हुसैन ने कहा कि विपक्ष देश में चुनाव संबंधी अनियमितताओं का मुद्दा लगातार उठा रहा है, जिसमें मतदाता सूची में गड़बड़ी और धांधली जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष उम्मीद कर रहा था कि चुनाव आयोग इन आरोपों पर स्पष्टीकरण देगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, लेकिन आयोग की पत्रकार वार्ता से यह स्पष्ट हो गया है कि संवैधानिक संस्थाओं को मोदी सरकार द्वारा अपने नियंत्रण में ले लिया गया है।

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