सोशल संवाद / डेस्क: उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि सरोगेसी के जरिए मां बनने वाली महिला कर्मचारियों को भी अन्य महिलाओं की समान ही मैटरनिटी लीव और दूसरी लाभ प्राप्त करने का पूरा अधिकार है। जस्टिस एस के पाणिग्रही की सिंगल बेंच ने 25 जून को ओडिशा वित्त सेवा (OFS) की महिला अधिकारी सुप्रिया जेना द्वारा 2020 में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
जेना सरोगेसी के माध्यम से मां बनीं, लेकिन उन्हें ओडिशा सरकार में उनके सीनियर अधिकारियों ने 180 दिनों के मैटरनिटी लीव नहीं दी। इसलिए उन्होंने सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने पाया कि नेचुरल मां बनने वाली महिलाएं और बच्चा गोद लेने वाली महिलाओं को 180 की मैटरनिटी लीव दी जाती है, लेकिन सेरोगेसी अपनाने वाली महिलाओं को लिए ऐसा कोई रूल नहीं है।
अदालत ने कहा, “अगर सरकार बच्चा गोद लेने वाली महिला को मैटरनिटी लीव दे सकती है तो सरोगेसी से मां बनने वाली महिला को लीव नहीं देना गलत है। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सभी नई माताओं के लिए समान व्यवहार और सहायता तय करने के लिए सरोगेसी के माध्यम से मां बनने वाली कर्मचारियों को मैटरनिटी लीव दी जानी चाहिए, चाहे वे किसी भी तरह से माता-पिता बनें।
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